दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 जुलाई को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए पत्रकार तरुण तेजपाल और उनकी समाचार संस्था तहलका को 2 करोड़ रुपए मेजर जनरल (रिटायर्ड) एमएस अहलूवालिया को देने का निर्देश दिया है। (Delhi High Court ordered news magazine Tehelka, its former editor-in-chief Tarun Tejpal and former reporters Aniruddha Bahal and Mathew Samuel to pay ₹2 crore to retired Army Major General MS Ahluwalia). मेजर जनरल मंजीत सिंह अहलूवालिया ने तरुण तेजपाल और उनकी संस्था पर स्टिंग के जरिए अपनी छवि खराब करने के मामले में मानहानि का मामला दायर किया था।
यह पूरा मामला वर्ष 2001 के एक कथित स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा हुआ है जब तरुण तेजपाल और उनकी संस्था तहलका ने तत्कालीन सरकार के मंत्रियों, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों और सैन्य अफसरों के स्टिंग सामने रखे थे। इनमें दावा किया गया था कि ‘सैन्य खरीद में सहूलियत देने के बदले में रिश्वत स्वीकार की गई’। इसमें सेना के कई उच्चाधिकारी शामिल थे। जनरल अहलूवालिया को इस मामले में सेना की कार्रवाई झेलनी पड़ी थी।
मेजर जनरल अहलूवालिया ने तहलका के पत्रकारों पर वर्ष 2002 में ही मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया था। तहलका ने दावा किया था कि जनरल ने शराब और 1 लाख रुपए की मांग की थी। बाद में सेना की जांच में तहलका के पत्रकार मैथ्यू सैमुअल ने यह स्वीकारा था कि जनरल ने रिश्वत ठुकराने के बाद किसी तरह के पैसे या शराब की मांग नहीं की।
तहलका ने यह भी दावा किया था कि जनरल से विदेशी हथियारों की खरीद को लेकर बातचीत हुई है जबकि जनरल ने कहा कि ‘मैं स्टिंग के समय मैं गोला बारूद के ऐसे विभाग में था जहाँ अधिकाँश खरीददारी भारतीय निर्माताओं से होती है’। इस खरीदारी को आर्डिनेंस फैक्ट्री या सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों से किया जाता है। अब कोर्ट ने इस मामले में निर्णय सुनाते हुए कहा है कि जनरल को 2 करोड़ रुपए की धनराशि तरुण तेजपाल, तहलका और मुकदमे में नामजद अन्य लोगों की तरफ से दी जाए।
क्या था पूरा मामला?
13 मार्च 2001 को संस्था तहलका के पत्रकार तरुण तेजपाल, अनिरुद्ध बहल और मैथ्यू सैमुअल अन्य ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में तहलका के पत्रकारों ने अपने द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन वेस्ट एंड’ नाम के स्टिंग की जानकारी साझा की। तहलका के पत्रकारों ने कहा कि उन्होंने आठ महीने समय लगाकर राजनेताओं, सैन्य अफसरों और बिचौलियों के गठजोड़ का खुलासा किया है।
इस पूरे स्टिंग में तत्कालीन बाजपेयी सरकार से जुड़े कुछ नेताओं, सेना के कई शीर्ष अफसरों और अन्य राजनीतिक व्यक्तियों पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए गए थे। इस स्टिंग के आने से देश में हड़कंप मच गया था। स्टिंग में तहलका के पत्रकारों ने कहा था कि उन्होंने अपने आप को रक्षा उपकरण बनाने वाली कम्पनी का प्रतिनिधि बताया था और स्टिंग में आने वाले सभी लोगों ने उनकी सहायता रिश्वत के बदले करने को कही थी।
हाई कोर्ट द्वारा मानहानि का मुकदमा जीतने वाले मेजर जनरल एम एस अहलूवालिया के अतिरिक्त मेजरल जनरल सतनाम सिंह, ब्रिगेडियर इकबाल सिंह और कर्नल अनिल सहगल का स्टिंग किया गया था।
जनरल अहलुवालिया, जनरल सतनाम सिंह और अनिल सहगल उस समय ऐसे विभागों में तैनात थे जो कि सेना के गोला बारूद की खरीददारी का काम करती है। इस पूरे प्रकरण में सेना, रक्षा मंत्रालय और सरकार ने अलग अलग स्तर पर जांच की थी। स्टिंग के सामने आने के बाद तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण और रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने इस्तीफ़ा दे दिया था।
जब तहलका का ही हो गया खुलासा
स्टिंग के सामने आने के पश्चात कई महीनों तक रक्षा मंत्रालय, सरकार और सैन्य अधिकारियों तथा सेना के कामकाज के तरीके पर प्रश्न उठाए जाते रहे थे। स्टिंग के कुछ महीने के पश्चात तहलका द्वारा स्टिंग के लिए अपनाए गए तौरतरीकों पर खुलासा किया था। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा किए गए खुलासे में सामने आया था कि तहलका के पत्रकारों ने सैन्य अधिकारियों को कॉल गर्ल का प्रलोभन दिया था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, तहलका ने इन सैन्य अधिकारियों को कॉल गर्ल का प्रलोभन देने के बाद उन्हें एक होटल में ठहराया और उनकी गतिविधियों को वीडियो में रिकॉर्ड कर लिया गया। तहलका के पत्रकार अनिरुद्ध बहल ने कहा था कि हमें स्टोरी निकालने के लिए कॉल गर्ल बुलानी पड़ी। इसको लेकर तरुण तेजपाल ने भी यह बात मानी थी कि हमने सैन्य अफसरों को लुभाने के लिए कॉल गर्ल बुलाई।
इस सम्बन्ध में पहला तहलका ने पहला कारनामा सितम्बर 2001 में हुआ। रेडिफ पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, दो वेश्याओं को होटल के एक कमरे में ले जाया गया जहाँ पहले से तहलका के लोग मौजूद थे। वेश्याओं के आने के बाद तहलका के पत्रकार कमरे से बाहर चले गए। इसके पश्चात एक कमरे से एक अधिकारी और एक वेश्या निकले जबकि एक अन्य अधिकारी एक अन्य वेश्या के साथ कमरे में ही रुक गए।
तहलका ने इनकी सभी गतिविधियों को वीडियो में रिकॉर्ड कर लिया। यह भी खुलासा हुआ था कि तहलका के पत्रकारों ने वेश्याओं से इस पर भी चर्चा की थी कि उन्हें सैन्य अधिकारियों के साथ कैसे बर्ताव करना है। तहलका के पत्रकारों ने वेश्याओं के इस्तेमाल को जायज भी ठहराया था। इस मामले को लेकर भाजपा नेताओं ने तहलका की आलोचना भी की थी।
कुछ वर्षों के पश्चात तरुण तेजपाल पर उनकी महिला सहकर्मी ने दुराचार का मामला दर्ज करवाया था जिसमें तेजपाल को जेल भी काटनी पड़ी थी। केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि तहलका के इस काम के लिए पश्चिमी एशिया के एक राष्ट्र से पैसा आया था। इस राष्ट्र को बाद में स्टिंग ऑपरेशन से बड़ा फायदा हुआ।
तत्कालीन एडिशनल सॉलिसिटर जनरल किरीट एन रावल ने कहा था कि तहलका द्वारा किया गया स्टिंग कोई पत्रकारिता का काम नहीं बल्कि व्यापारिक फायदे के लिए किया गया काम था। तेजपाल पर यह आरोप भी लगे थे कि वह अपनी आय के बारे में सही जानकारी नहीं देते हैं।
तहलका का नक्सल और ISI एंगल
तरुण तेजपाल के तहलका द्वारा किए गए स्टिंग सामने आने के बाद रक्षा मंत्रालय में काम करने वाले एक अधिकारी थॉमस मैथ्यू को निलंबित कर दिया गया था। थॉमस मैथ्यू पर आरोप थे कि उन्होंने तहलका के पत्रकारों की इस स्टोरी को गढ़ने में सहायता की है। थॉमस को कारण बताओ नोटिस भी थमाया गया था। थॉमस द्वारा गोपनीय दस्तावेज तहलका को दिए जाने की बात सामने आई थी।
रेडिफ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, थॉमस के नक्सली और वामपंथियों से लिंक थे। थॉमस ने के वेणु नाम के एक वामपंथी नेता के साथ काम किया था। वेणु ने जनसंस्कृति और जनाकीय समस्कारीकावेदी नाम की संस्थाएं बनाई थी जो कि केरल में नक्सली आन्दोलन को चलाती थी। थॉमस के कुछ संबंधी भी वामपंथी संगठनों से जुड़े हुए थे। इन सभी कारण से थॉमस को अपनी सेवा के दौरान समस्याएँ भी झेलनी पड़ीं थी।
वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने यह योजना बनाई थी कि यदि तहलका के पत्रकारों की हत्या करवा दी जाए तो इसका पूरा दोष भारतीय सेना और सरकार पर आएगा जिससे उनकी छवि को धक्का लगेगा। इस योजना के तहत ISI ने दिल्ली से 6 युवकों को गिरफ्तार किया गया था जिनको ISI ने इन हत्याओं के लिए सुपारी दी थी।
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तहलका से पूर्व में जुड़े हुए एक अन्य पत्रकार अजित साही के भी ISI से लिंक हैं। अजित साही तहलका में संपादक था जो कि वर्तमान में अमेरिका में रहता है। वह अमेरिका में हिन्दूस फॉर ह्युमन राइट्स और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल जैसे संगठनों से जुड़ा हुआ है जिनके ISI से सीधे सम्बन्ध हैं। वह लगातार भारत सरकार और हिन्दुओं के विरुद्ध भ्रामक जानकारी फैलाता रहता है। गौरतलब है कि यह अधिकाँश संगठन जॉर्ज सोरोस से मदद पाते हैं और उनका एजेंडा भारत के विषय में दुष्प्रचार करना है।
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