तमिलनाडु विधानसभा द्वारा शुक्रवार (21-04-2023) को कारखाना (संशोधन) अधिनियम, 2023 पारित किया। इस अधिनियम के अनुसार कारखाने के श्रमिकों के लिए काम के घंटे को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है।
श्रमिकों पर दबाव डाल रहे इस बिल का विपक्षी दलों के साथ, DMK की सहयोगी कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, मध्यमिक पार्टी, विसिका और अन्य दलों ने विरोध किया एवं विधानसभा से बहिर्गमन भी किया।
हालाँकि विपक्ष को हंगामें और विरोध के बीच भी श्रण कल्याण और कौशल विकास मंत्री सी वी गणेशन ने विधानसभा में विधेयक को पेश कर ध्वनिमत से पारित भी कराया। बिल के बारे में आश्वासन देते हुए उद्योग मंत्री थेनारासु ने कहा कि सप्ताह में कुल काम के घंटे कर्मचारियों के लिए अपरिवर्तित रहेंगे। इनके पास सप्ताह में 4 दिन काम करने और 3 दिन की छुट्टी लेने का विकल्प होगा।
हालाँकि, DMK के सहयोगी विधायक इसपर पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बिल को वापस लेना चाहिए क्योंकि यह मजदूरों को प्रभावित करेगा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक नागिमली का कहना है कि बिल वापस होना चाहिए। पहले से ही ओवर टाइम का चलन है, जिसके कारण इस विधेयक की कोई आवश्यकता नहीं है।
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जहाँ अधिकतर पार्टियों ने बिल का विरोध दर्ज कराया है वहां AIADMK के विधायक सदन में नहीं थे जब यह बिल पेश किया गया था। वहीं, ओ पन्नीरसेल्वम ने विधानसभा में इस बिल का विरोध किया।
विधानसभा में बिल पेश करके श्रम मंत्री सी वी गणेशन ने स्पष्टीकरण दिया कि इस अधिनियम से मजदूरों पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा। 8 घंटे के काम, सप्ताह की छुट्टी और ओवरटाइम मजदूरी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। श्रम मंत्री का कहना है कि छुट्टी के तीन दिनों का भुगतान भी किया जाएगा। साथ ही छुट्टी, ओवरटाइम, वेतन आदि के नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा। साथ ही अपने कर्मचारियों की इच्छा के खिलाफ काम करवाने वाले कारखानों पर कार्रवाई की जाएगी।
उद्योग इस तरह से काम करेंगे जिससे कोई भी मजदूर प्रभावित नहीं होगा। वहीं उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु का भी कहना है कि कई उद्योग तमिलनाडु की ओर आने वाले हैं। इस अधिनियम के कारण मजदूर प्रभावित नहीं होंगे। उनकी इच्छा के आधार पर ही काम के घंटे चुने जाएंगे।