डीएमके के नेताओं द्वारा हिंदू धर्म के खिलाफ विवादित बयानों का सिलसिला टूटता नजर नहीं आ रहा। तमिलनाडु सरकार में मंत्री और डीएमके नेता पोनमुडी ने कल कहा कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के गठन का मुख्य उद्देश्य सनातन का विरोध करना है। ज्ञात हो कि इस विवाद की शुरुआत राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के पुत्र और कैबिनेट के सदस्य उदयनिधि स्टालिन के उस बयान से हुई थी जिसमें उन्होंने सनातन को डेंगू और मलेरिया की तरह बताते हुए कहा था कि इसके खात्मे के लिए काम किया जाना चाहिए।
डीएमके को दक्षिण भारत में द्रविड़ राजनीति की झंडाबरदार पार्टी माना जाता है। साथ ही पार्टी को हिंदुत्व के मुखर विरोध के लिए जाना जाता है। पार्टी द्रविड़ राजनीति की उस अवधारणा की समर्थक है, जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान भारत को भाषाई आधार पर विभाजित करने के लिए प्रचारित किया गया था।
तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के विवादित बयान के बाद से जैसे राज्य में हिंदुत्व विरोधी बयानों की बाढ़ सी आ गई है। उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और डीएमके के वरिष्ठ नेता ए राजा ने वक्तव्य देते हुए सनातन की तुलना एड्स और कोढ़ से की थी। अब डीएमके मंत्री के पोनमुडी द्वारा दिया गया बयान उदयनिधि और ए राजा के विवादित बयानों को आगे बढ़ाने का ही काम है।
के पोनमुडी, जिनके पास तमिलनाडु कैबिनेट में उच्च शिक्षा विभाग है, का कहना है कि; I.N.D.I.A गठबंधन सनातन के विरोध और खात्मे के लिए ही हुआ है। उन्होंने दावा किया कि गठबंधन में शामिल सभी 26 दल इस मुद्दे पर एकजुट हैं। उनके इस बयान से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा ने उनके इस बयान की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि यह हिंदुओं को निशाना बनाने के विपक्षी गठबंधन के एजेंडे को उजागर करता है।
भाजपा के राज्य प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा कि टिप्पणियों ने विपक्षी गठबंधन का असली चेहरा और हिंदू धर्म को खत्म करने के उसके एजेंडे को उजागर किया है। भाजपा सांसद राज्यवर्धन राठौड़ ने भी बयान की आलोचना करते हुए कहा कि गठबंधन ने हिंदुओं पर पूरी तरह से हमला बोल दिया है। पोनमुडी की टिप्पणियाँ एक मंच पर समानता और सामाजिक न्याय की बात के बीच आई हैं।
इस टिप्पणी से राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है। यह देखना बाकी है कि इसका असर आगामी चुनावों पर कितना पड़ता है। यह विवाद क्षेत्रीय दलों और राष्ट्रीय भाजपा के बीच वैचारिक मतभेद को भी दर्शाता है। हालाँकि, DMK का दावा है कि वह केवल सामाजिक न्याय समानता के लिए लड़ता है। इस मुद्दे पर राज्य में बहस और तेज होने की संभावना है।