तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने तालिबान के यूट्यूबर्स को चेतावनी दी है। तालिबान ने यूट्यूब पर कंटेट क्रिएटर्स के लिये कुछ नियम एवं शर्तें जारी की हैं। अब यदि किसी को अफ़ग़ानिस्तान में यूट्यूब पर कुछ सामग्री डालनी हो तो उसके लिये पत्रकारिता का कोर्स आवश्यक शर्त कर दिया गया है।
तालिबान द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, “यूट्यूबर होने के लिए आपका पत्रकारिता में स्नातक होना आवश्यक है। तथा दो साल का अनुभव भी होना चाहिए।” इसके अलावा इन पत्रकारों को 4,000 अफगानी मुद्रा के बदले यूट्यूबर होने का एक लाइसेंस और गारंटी के रूप में 10,000 अफगानी दिए जाएँगे।
दरअसल, कुछ समय पूर्व ही तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगाने के लिए विश्वविद्यालय में उनके प्रवेश पर ही रोक लगा दी थी। इसके बाद अफ़गानों ने सोशल मीडिया के माध्यम से महिलाओं के विश्वविद्यालय जाने पर प्रतिबंध को लेकर हैशटैग #LetHerLearn (उसे सीखने दो) के माध्यम से अपना आक्रोश व्यक्त किया था। इस प्रतिबंध से प्रभावित छात्रों ने ट्विटर और फेसबुक पर अपने मन की बात रखी थी।
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उल्लेखनीय है कि अगस्त, 2021 में सैन्य हस्तांतरण के बाद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबानी शासन को सालभर से अधिक समय हो चुका है। कुछ ही समय पूर्व तालिबान के एक शासक ने अफगानिस्तान की न्यूज एजेंसी ‘टोलो न्यूज’ को दिए एक साक्षात्कार में वहाँ की सभी मीडिया संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने की भी बात कही थी।
इसके पीछे तालिबानी नेताओं ने वहाँ के मीडिया संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं का दफ़्तर में हिजाब ना पहनने का तर्क दिया था। तालिबानी नेता ने इस साक्षात्कार में यह भी कहा था कि ये महिलाएँ अपने ऑफिस में पुरुष सहकर्मियों के साथ घुलने-मिलने लगती हैं और ऐसे में वे इन दफ़्तरों पर ही ताला लगा देंगे।
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मीडिया पर प्रतिबंधों की बात करते हुए तालिबान लीडर ने कहा था कि अफ़ग़ान महिलाओं ने एक ‘रेड लाइन’ खींच ली है और तालिबान इस क़िस्म के ‘भ्रष्टाचार’ के ख़िलाफ़ है। अपने साक्षात्कार में उन्होंने युवाओं के नैतिक पतन के लिए महिलाओं की आज़ादी को ज़िम्मेदार बताया था। साथ ही यह भी कहा कि अगर ऐसा होता रहेगा तो वो चुप नहीं बैठ सकते।