तालिबान-शासित अफ़ग़ानिस्तान से सिख समुदाय के 55 लोग दिल्ली हवाई अड्डे पर रविवार (25 सितम्बर, 2022) देर रात एक विशेष उड़ान से पहुँचे। पिछले वर्ष ही तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर काबिज होते ही वहां के अल्पसंख्यक समाज पर अत्याचार बढ़ गया है।
इस दौरान भारत में नरेंद्र मोदी सरकार ने अफ़ग़ानी सिख और हिन्दुओं को सुरक्षित भारत पहुँचाने का काम किया। तालिबान के शरिया कानून और युद्ध-ग्रस्त अफ़ग़ानिस्तान से यह लोग सुरक्षा और बेहतर जीवन के लिए भारत का रुख करते रहे हैं।
तालिबान-शासन में सिख समुदाय की दुर्दशा
अफ़ग़ान सिख शरणार्थी बलजीत सिंह ने भारत पहुँचने पर बताया, “अफगानिस्तान में स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।”
अफगानिस्तान में तालिबान शासन द्वारा उनके साथ की गई बर्बरता का विवरण देते हुए उन्होंने कहा, “मुझे चार महीने तक कैद में रखा गया। तालिबान ने हमें धोखा दिया, हम जब जेल में क़ैद थे तब हमारे बालों को काट दिया गया।” अंत में उन्होंने इस बात की खुशी जताई की वह भारत और अपने धर्म में वापस लौट आए हैं।
एक दूसरे अफगान सिख शरणर्थी सुखबीर सिंह खालसा ने तुरंत वीजा मुहैया कराने और भारत में शरण देने के लिए मोदी सरकार को शुक्रिया अदा किया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अभी भी कई लोगों के परिवार-वाले अफ़ग़ानिस्तान में फंसे हुए हैं।
पिछले महीने ही भारत ने 30 अफगान सिख — जिनमें बच्चे भी शामिल थे — को अफ़ग़ानिस्तान से बच निकलने में मदद की थी।
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में बीते जून एक गुरुद्वारे में आतंकी हमला हुआ जिसमें पुजारी समेत दो लोगों की जान चले गई थी। ‘इस्लामी स्टेट – खुरासान प्रांत’ (ISKP) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और इसका कारण ‘पैगंबर के ऊपर टिप्पणी’ पर उपजे विवाद को बताया।
मार्च, 2020 में इस्लामी स्टेट ने ही काबुल में सिख पूजा स्थल श्री गुरु हर राय साहिब गुरुद्वारा पर आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में 25 लोग मारे गए थे।
साल 2020 की शुरुआत से अफ़ग़ानिस्तान में तकरीबन 700 सिख थे, जिनकी संख्या अब 100 से भी कम है। जो बचे हैं, वह भी जल्द भारत आने के लिए तत्पर हैं।
तालिबान से बचाने के लिए अफ़ग़ान सिख-हिंदुओं का जत्था पहले भी जाता चुका है PM मोदी का आभार
उल्लेखनीय है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं। हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को भी वहाँ कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिनकी मदद के लिए भारत आगे आया है।
भारत और अफ़ग़ानिस्तान के संबंध हमेशा ही मैत्रीपूर्ण रहे हैं। अफ़ग़ानिस्तान में पिछले चार दशकों की उथल-पुथल के बीच भारत ने कई अफ़ग़ान नेताओं और उनके परिवारों को शरण दी है।
अफ़ग़ान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला का परिवार वर्तमान में भारत में रहता है और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई जैसे अन्य लोग देश में रहकर अध्ययन भी कर चुके हैं। यहां तक की अफ़ग़ानिस्तान की क्रिकेट टीम के लिए भारत एक दूसरा घर सामान है और अपने ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मैच यहीं खेलते हैं।
2021 में अमरीका के अफगानिस्तान छोड़ने और तालिबान द्वारा अफगानी प्रांतो को एक के बाद एक कब्जा करने के बाद भारत की मोदी सरकार ने तत्परता दिखाई थी। भारत सरकार ने घोषणा करते हुए अफगान नागरिकों को आपातकालीन ई-वीजा जारी करने का ऐलान किया।
इसके बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषतः सिख समुदाय ने ई-वीजा के जरिए भारत में शरण ली। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक अभी तक भारत में अनुमानित 20,000 अफ़ग़ान सिख हैं, जिनमें से अधिकांश दिल्ली में रह रहे हैं।
यह विडंबना ही है कि कनाडा में कुछ सिख समुदाय के लोग ही खालिस्तान की मांग के लिए रेफेरेंडम आयोजित कर रहें है जिसका मकसद भारत को तोड़ कर एक विशेष समूह के लोगों के लिए अलग राष्ट्र का निर्माण है, वही भारत अफ़ग़ान सिख समुदाय का सबसे बड़ा मित्र बन कर उभरा है।