तालिबान शासित अफगानिस्तान में लड़कियों की उच्च शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगने के बाद अब कॉलेज और विश्वविद्यालय के कई छात्रावास खाली होने शुरू हो गए हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री निदा मोहम्मद नदीम के फरमान के मुताबिक अब कॉलेज प्रशासन लड़कियों को हॉस्टल से बाहर निकालने में जुट गया है। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि यह तालिबान उच्च शिक्षा मंत्रालय के नए आदेश के आधार पर किया जा रहा है।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक कॉलेज प्रशासन ने तालिबान शासन के निर्णय की पालना करते हुए लड़कियों को अल्टीमेटम भी दे दिया है। जबकि कुछ लड़कियाँ सामान बटोरकर अपने घर के लिए रवाना भी हो गई हैं।
छात्राओं ने क्या कहा?
नाम न बताने की शर्त पर एक छात्रा ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कहा कि तालिबान के नए फरमान के बाद वे अब सक्ते में हैं।
छात्रा का कहना है कि जो कॉलेज प्रशासन पहले उनके भविष्य को लेकर चिन्तित रहा करता था, वह अब तालिबान के डर के कारण छात्राओं को जबरन बाहर निकालने पर विवश है।
वहीं, एक दूसरी छात्रा का कहना है कि तालिबानी लड़ाकों ने रात को कॉलेज के छात्रावास में घुसकर छात्राओं के सामान को जबरन बाहर फेंका।
एक अन्य छात्रा का कहना है कि तालिबानी लड़ाकों की जबरन घुसपैठ की घटना के बाद से सभी छात्राएँ बेहद डरी हुई हैं। छात्राओं को जबरन कॉलेज से बाहर तो निकाला ही जा रहा है, साथ ही उन्हें अपने भविष्य और अपनी जान की भी चिन्ता सताने लगी है।
महिलाएँ केवल बच्चे पैदा करे: तालिबान
बता दें कि हाल ही में तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्री कट्टरपंथी मौलवी निदा मोहम्मद नदीम ने लड़कियों की उच्च शिक्षा पर प्रतिबन्ध के अपने फरमान को जायज ठहराते हुए कहा था कि यह इस्लाम या इस्लामी उपदेशों के तहत की गई कार्रवाई है, जोकि बिल्कुल जायज है।
तालिबान का कहना है कि इस्लाम शिक्षा के बहाने महिलाओं को व्यभिचार में संलग्न होने की अनुमति नहीं देता है।
निदा मोहम्मद नदीम अपने एक ट्वीट में कहते हैं कि “महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए इस्लामी मुल्क भले ही उनकी आलोचना कर रहे हैं लेकिन उनका यह फैसला मोहम्मद साहब के फरमान के ही अनुरूप है।”
कट्टरपंथी मौलवी नदीम यहीं नही रुकते और आगे कहते हैं कि “इस्लाम कभी भी शिक्षा के बहाने महिलाओं को व्यभिचार की ओर जाने की अनुमति नहीं देता है। वह बच्चे पैदा करने और अपने आदमी की सेवा करने के लिए बाध्य है, शिक्षित होने के लिए नहीं।”