अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने विश्वविद्यालय में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के अपने फरमान को सही ठहराने के लिए अब एक नया बयान जारी किया है।
तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने बीते कल बुधवार को कहा कि यह इस्लाम या इस्लामी उपदेशों के तहत की गई कार्रवाई है, जोकि बिल्कुल जायज है।
उच्च शिक्षा मंत्री और कट्टरपंथी मौलवी निदा मोहम्मद नदीम ने महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाने के अपने फैसले पर स्पष्ट रूप से कहा है कि इस्लाम शिक्षा के बहाने महिलाओं को व्यभिचार में संलग्न होने की अनुमति नहीं देता है।
निदा मोहम्मद का यह बयान उस समय आया है, जब कट्टर महिला विरोधी मानसिकता के कारण और महिलाओं पर लगाए जा रहे प्रतिबन्ध के विरोध में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय समेत इस्लामी राष्ट्रों से भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्री ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा है कि “महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए इस्लामी मुल्क उनकी आलोचना कर रहे हैं। जबकि उनका यह फैसला मोहम्मद साहब के फरमान के ही अनुरूप है।”
उन्होंने आगे कहा कि “इस्लाम कभी भी शिक्षा के बहाने महिलाओं को व्यभिचार की ओर जाने की अनुमति नहीं देता है। वह बच्चे पैदा करने और अपने आदमी की सेवा करने के लिए बाध्य है, शिक्षित होने के लिए नहीं।”
बता दें कि सऊदी अरब, तुर्की और कतर सहित कई प्रमुख इस्लामी देशों ने महिलाओं के शिक्षा के अधिकार के हनन को लेकर चिंता जाहिर करते हुए तालिबान शासन की निंदा की है।
पुरुष अफगान छात्रों ने विश्वविद्यालय का किया बहिष्कार
महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबन्ध के खिलाफ कई छात्रों ने भी तालिबान शासन के इस फैसले का घोर विरोध किया और अपनी महिला सहपाठियों के साथ मिलकर कक्षाओं से बाहर आकर प्रदर्शन किया।
स्थानीय अफगान समाचार पामीर न्यूज के अनुसार विश्विद्यालय के कई छात्र महिला छात्रों को प्रतिबंध करने के फैसले के विरोध में कक्षाओं और परीक्षा केन्द्रों का बहिष्कार कर रहे हैं। विश्विद्यालय के कई प्रोफेसरों ने तो अपना विरोध प्रदर्शन जताते हुए इस्तीफा तक दे दिया है।