तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के संचार मंत्री नजीबुल्लाह हक्कानी ने गुरुवार को कहा कि तालिबान ने देश में सत्ता संभालने के बाद से साल भर में अनैतिक सामग्री को प्रदर्शित करने वाली 23 मिलियन से अधिक वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है।
टोलोन्यूज ने मंत्री नजीबुल्लाह हक्कानी के हवाले से कहा, “हमने 23.4 मिलियन वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है। पर वे हर बार अपना नाम बदल ले रहे हैं। इसलिए, जैसे ही हम एक वेबसाइट को ब्लॉक करते हैं तो वैसी ही दूसरी वेबसाइट सक्रिय हो जाती है।”
फेसबुक पर सहयोग न करने का लगाया आरोप
तालिबान की अंतरिम सरकार में उप संचार मंत्री, अहमद मसूद लतीफ राय ने सम्मेलन में इंटरनेट सामग्री मॉडरेशन को लेकर तालिबान अधिकारियों के साथ सहयोग न करने के लिए फेसबुक की आलोचना की। सोशल मीडिया के सन्दर्भ में फेसबुक की वैश्विक नीतियाँ तालिबान की घरेलू नीतियों से बहुत अधिक उदार हैं जो तालिबान को रास नहीं आ रहा है।
अमेरिका समर्थित पूर्ववर्ती सरकार के पतन और देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद, तालिबान के नेतृत्व में एक अंतरिम अफगान सरकार पिछले साल 15 अगस्त को सत्ता में आई थी। इस एक साल में अफ़ग़ानिस्तान में काफी कुछ बदल गया है, जिसमें लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खासा तौर पर कम हो गयी है।
अफ़ग़ानिस्तान में सभी तरह की पत्रकारिता संकट में
पिछले साल अगस्त के मध्य में अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद से, तालिबान ने अफगान मीडिया आउटलेट्स और उनके कामकाज के अधिकारों को वापस ले लिया था।
UNAMA के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान के मीडिया परिदृश्य में बहुत बड़े बदलाव हुए हैं। आधे से अधिक फ्री मीडिया को बंद कर दिया गया है। कई चैनलों और वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। जो मीडिया हाउस चल रहे हैं वहाँ काम करने के तौर तरीकों पर बहुत से कार्य प्रतिबंध लगे हुए हैं। पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और धमकियाँ सामान्य बात बन चुकी है।
इस साल मई में, महिलाओं द्वारा किए जा रहे एक प्रदर्शन की रिपोर्ट करने पर पत्रकार रोमन करीमी और उनके ड्राइवर को तालिबान ने हिरासत में ले लिया था और प्रताड़ित किया था।
अफ़ग़ानिस्तान के 45 फीसदी पत्रकारों ने दिया इस्तीफ़ा
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अब तक 45 फीसदी से ज्यादा पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया है। अफगानिस्तान में मीडिया के खिलाफ लगातार बढ़ते प्रतिबंधों और हिंसक घटनाओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने वैश्विक स्तर पर व्यापक आलोचना की है, और आतंकी संगठन से मांग की है कि वह स्थानीय पत्रकारों को हिरासत में लेना, धमकियाँदेना औरपरेशान करना बंद करे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को जारी रखे।
पिछले साल अगस्त में सत्ता अधिग्रहण के बाद तालिबान द्वारा आयोजित पहली समाचार कॉन्फ्रेंस में उसने महिला अधिकार जारी रखने, मीडिया की स्वतंत्रता और सरकारी अधिकारियों को माफ करने का वादा किया था। फिर भी, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पूर्व सरकारी कर्मचारियों और पत्रकारों सहित अन्य लोगों को तालिबान द्वारा पुराने बदले लेने का सामना करना पड़ रहा है।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान आर्थिक संकट और भोजन की कमी का सामना तो कर ही रहा है, पर मानवाधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सभी पैमाने भी ध्वस्त हो गए हैं।