पाकिस्तान में तालिबानी मुजाहिदों पर हो रहे अत्याचार का विरोध करते हुए तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तानी सेना को चेतावनी दी है कि अगर मुजाहिदों और उनके परिवार पर हो रहे अत्याचार नहीं रुकते तो फिर तालिबान, शरीयत के हिसाब से अपराधियों को सबक सिखाने के लिए बाध्य हो जाएगा।
दरअसल, पाकिस्तानी सेना और तालिबान के बीच अब 36 का आँकड़ा बन गया है। पाकिस्तानी सेना लगातार तालिबानी मुजाहिदों को पूछताछ के बहाने बुलाकर उनके दमन में लगी हुई है।
पाकिस्तान की तहरीक-ए-तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासनी ने बताया कि पाकिस्तानी सेना बातचीत की आड़ में दमन की अपनी पुरानी नीति को लागू कर रही है।
खुरासनी ने कहा, “पाकिस्तानी सेना एक बार फिर हमारे मुजाहिदीन साथियों के घरों को संदेह के आधार पर ध्वस्त कर रही है। सैनिक हमारे मुजाहिदीन साथियों के परिवार वालों, सगे-सम्बन्धियों को गिरफ्तार कर रहे हैं, उनको क्षेत्र से बाहर कर रहे हैं। यह सब दुश्मन की अनैतिकता और कायरता का संकेत है।”
खुरासनी ने पाकिस्तानी सेना की निंदा करते हुए कहा कि अगर सरकारी अधिकारी दमन के इन सिद्धांतों पर युद्ध का निर्माण करने का प्रयास करते हैं, तो वे हमारे गुस्से का शिकार बनेंगे। जो सेना मानवीय और नैतिक आधार पर नहीं लड़ रही, शरीयत के सिद्धांतों की उपेक्षा कर रही है और असली लड़ाकों के बदले, उनके घरों के बजाय निर्दोष लोगों को निशाना बना रही है, तो इसके कई मायने हैं। इनमें सबसे बड़ा सच जो दिख रहा है, वह ये है कि सेना अपनी हार छिपाने और अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए मैदान में अपना समय किसी तरह बिता रही है।
तालिबान ने चेतावनी देते हुए कहा कि निर्दोष लोगों या उनके घरों को निशाना बनाना बहादुरी नहीं है। युद्ध के कुछ नियम होते हैं, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने युद्ध के सभी नियमों का उल्लंघन किया है। हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। अगर भविष्य में इस तरह के अपराध दोहराए गए तो हम शरीयत की सीमा में रहकर ऐसे अपराध करने वालों को सबक सिखाएंगे।