शुक्रवार को दिल्ली कोर्ट ने पूर्वी दिल्ली दंगे 2020 में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, उसके भाई शाह आलम और 4 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए हैं। यह पाया गया है कि उक्त लोगों द्वारा भड़काई गई भीड़ ने हिन्दुओं को मारने तथा उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र रचा था।
अतिरिक्त सत्र न्यायधीश पुलत्स्य परामचला ने बीते गुरूवार को मुख्य आरोपित – ताहिर हुसैन, शाह आलम, गुलफाम, तनवीर मालिक, नाज़िम और कासिम को आईपीसी की धारा 147, 148, 153A , 302 , 307, 120 बी, 153A और 149 के तहत दोषी पाया है। गुलफाम और तनवीर मालिक के खिलाफ धारा 27 के तहत शास्त्र अधिनियम का दोषी पाया है।
कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा कि मुस्लिमों की भीड़ जानबूझकर हिन्दुओं पर हमला करने आई थी। गौरतलब है कि यह मानने से इंकार नहीं किया जा सकता कि आरोपितों की ऐसी मंशा नहीं थी।
अदालत ने दंगा पीड़ित चश्मदीद अजय झा के बयान का भी संज्ञान लिया जो बन्दूक की गोली से घायल हो गए थे। अजय झा का मामला दिल्ली के शुश्रुत ट्रामा सेंटर द्वारा दयालपुर पुलिस स्टेशन में फ़रवरी 2020 को दर्ज हुआ था।
जाँच के दौरान उन्होंने बताया कि ताहिर हुसैन के घर पहुँचने के बाद वह चांदबाग की ओर जा रहे थे। इतने में उन्होंने देखा कि हुसैन की छत पर खड़ा वो समूह, आस पास के घरों में पत्थरबाज़ी और पेट्रोल बॉम्ब फेंक रहा है।
इसके अतिरिक्त, भीड़ में शामिल लोग मजहबी नारे लगा रहे थे। चूँकि गवाहों के बयान देरी से दर्ज हुए इसलिए झा की बात को अदालत ने स्वीकारा और कहा कि अभियोजन पक्ष और चश्मदीद गवाहों को कारण बताने के अवसर के बिना उनकी विश्वसनीयता पर पूर्णतः संदेह नहीं किया जा सकता।
अदालत ने चेताया कि यह विचारणीय है कि घटनास्थल में प्रासंगिक समय में काफी दिनों तक दंगे सक्रिय रहे। यही कारण रहा कि दिल्ली पुलिस अवं अन्य सुरक्षाबलों को घटना की जांच के उलट, दंगे नियंत्रित करने को प्राथमिकता देनी पड़ी।
कोर्ट ने अपने अधिमत में अंततः यह भी कहा कि अलग-अलग घटनाओं पर आरोपित व्यक्तियों पर मुकदमा चलने को यह ना समझा जाए कि एक ही तथ्य व कार्रवाई के अनुरूप यह मुकदमा चल रहा है। प्रत्येक आरोपित व्यक्ति, जिसकी इन हिन्दू विरोधी दंगों में भूमिका थी, उस पर जघन्य अपराध व घटना के कारण, मुकदमा चलेगा।