मुंबई पर हुआ 26/11 आतंकी हमला एक बार फिर चर्चाओं में है। कारण यह है कि हमले में शामिल एक आरोपी जल्द ही भारत लाया जाएगा। हम बात कर रहे हैं तहव्वुर राणा की। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा भी मुंबई के 26/11 हमलों का एक आरोपी है जो अमेरिका में रहता है। अब जल्द ही इसे अमेरिका से भारत लाया जाएगा क्योंकि अमेरिकी अदालत ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।
हम आपको बताएँगे कि 26/11 हमले के बाद तत्कालीन सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही ?
आपको याद होगा ही 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमले हुए थे। लश्कर के आतंकियों ने गोलीबारी और बम धमाके से मुंबई को दहला दिया था। इस हमले में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए और लगभग 300 लोग जख्मी हुए थे।
अब अमेरिका की अदालत ने इस हमले के एक साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है। भारत सरकार ने जो बाइडेन प्रशासन से तहव्वुर के मुंबई आतंकी हमले में शामिल होने की बात रखी थी और इस आधार पर भारत ने 10 जून 2020 को एक शिकायत दर्ज करते हुए तहव्वुर राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग की थी।
राणा के भारत प्रत्यर्पण के अनुरोध को जो बाइडेन प्रशासन से समर्थन और मंजूरी मिली थी।
दरअसल, अदालत की कार्रवाई के दौरान अमेरिकी सरकार के वकीलों ने तर्क दिया कि कि राणा को पता था कि उसका बचपन का दोस्त पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा में शामिल था। आरोप हैं कि तहव्वुर हेडली की मदद करके आतंकवादी संगठन का समर्थन कर रहा था। अमेरिकी नागरिक हेडली पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ काम करता था और 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में शामिल रहा है
तहव्वुर राणा और डेविड हेडली के बीच का कनेक्शन क्या है
दोनों बचपन के दोस्त हैं। तहव्वुर राणा पहले पाकिस्तानी आर्मी में डॉक्टर था, बाद में वह अमेरिका शिफ्ट हो गया। अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई की जांच में यह बात सामने आई कि डेविड हेडली ने जब-जब मुंबई और भारत के अन्य शहरों की रेकी की, उसने कभी भी पाकिस्तान सीधे कोई कॉल नहीं की। वह तहव्वुर राणा को अमेरिका में कॉल करता था और राणा वहां से पाकिस्तान में आईएसआई से जुड़े लोगों को उसका संदेश भेजता था।
अमेरिका की अदालत के आदेश संबंधी दस्तावेज के अनुसार, 25 दिसंबर, 2008 को दुबई में राणा ने हेडली को एक ईमेल भी भेजा था।
इस दस्तावेज के अनुसार, राणा ने 7 सितंबर, 2009 को हुई बातचीत में हेडली से कहा था कि मुंबई हमलों में मारे गये 9 लश्कर आतंकवादियों को ‘निशान-ए-हैदर सम्मान दिया जाना चाहिए। ये पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।
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ऐसी सोच सिर्फ इन आतंकवादियों की ही नहीं थी।बल्कि इसी सोच का एक दूसरा पैटर्न भारत में भी देखा गया।
कॉन्ग्रेस की ‘पाकिस्तानी’ सोच?
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इस हमले को आरएसएस की साजिश करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पहले उन्होंने भगवा आतंकवाद की काल्पनिक थ्योरी गढ़ी और फिर फिर RSS पर लगे आरोपों को साबित करने के लिए प्रकाशित हुई किताब 26/11 आरएसएस की साजिश का विमोचन किया था।
एक बार नहीं वह भी तो दो बार और इस किताब को लिखने वाला कोई और नहीं बल्कि एक ऐसा व्यक्ति था जो कांग्रेस एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का काफी करीबी था। नाम था अनीस बर्नी जो राष्ट्रीय सहारा नामक अखबार के उर्दू संस्करण का संपादक भी था।
दिग्विजय सिंह के अलावा किताब के विमोचन समारोह में महेश भट्ट भी थे जिनका बेटा राहुल भट्ट डेविड कोलमैन हेडली का दोस्त था और उसके ऊपर हेडली को सहयोग देने का भी आरोप लगता रहा है।
26/11 हमले का जिक्र आने पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के एक्शन की चर्चा आवश्यक हो जाती है।
वर्ष 2008 में 26/11 हमले के बाद मनमोहन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर कॉन्ग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी भी तत्कालीन मनमोहन सरकार की आलोचना कर चुके हैं।वे अपनी किताब में लिखते हैं, “संयम ताकत का संकेत नहीं है और भारत को हमले के बाद गतिशील कार्रवाई करनी चाहिए थी।”
वहीं, 24 दिसम्बर, 2008 को पश्चिमी वायु कमान के वायु अधिकारी कमांडिंग-इन-चीफ पीके बारबोरा ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में 5,000 लक्ष्य निर्धारित किए हैं। हालाँकि, एक दिन बाद, एक शीर्ष स्तरीय सुरक्षा बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्पष्ट किया था कि “कोई भी युद्ध नहीं चाहता है।”
कुछ रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि जब मुंबई हमले को झेल रहा था। 26/11 हमले से मुंबई समेत पूरा देश दहल रहा था, उस समय भी कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी पार्टी कर रहे थे।
उस समय उद्धव ठाकरे ने भी राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए कहा था, “राहुल गाँधी ने 26/11 मुंबई हमलों में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों का अपमान किया है। उन्होंने देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले हेमंत करकरे, अशोक कामटे, तुकाराम आंबोले और विजय सालस्कर जैसे मराठा पुलिसकर्मियों की बहादुरी का अपमान किया है। उन्होंने एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को अपमानित किया है। जब मुंबई में हमला हुआ, तब राहुल कहाँ थे?”
लेकिन आज विडंबना ये है कि यही उद्धव ठाकरे गाँधी परिवार को सत्ता तक पहुंचाने के लिए अधीर दिख रहे हैं।
खैर,अब 26/11 हमले में शामिल तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण से पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है।
वहीं देखना ये होगा कि क्या इसी बहाने कॉन्ग्रेस पीछे मुड़कर देखेगी और सोचेगी कि 26/11 को लेकर जो रूख पार्टी ने अपनाया था वो देश की संप्रभुता और सौहार्द के लिए कितना चिंताजनक था।
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