उत्तराखंड में पिछले एक साल में करीब पांच सौ से अधिक अवैध मजारें तोड़कर सरकारी कब्जे को मुक्त करने का काम किया गया है, इसके बाद अभी भी बड़ी संख्या में अवैध मजारें देवभूमि के चप्पे चप्पे पर मौजूद हैं। आशीष नौटियाल इस वीडियो में विस्तार से बता रहे हैं ‘मज़ार इकॉनमी’ की कहानी और उससे पैदा होने वाले अपराध की क्रोनॉलॉजी।