सांस्कृतिक राजनीति फिर कभी…August 11, 202326 Views कृष्ण अच्युत हो या न हो, पर होनी को कौन टाल सकता है। विदुर सहज हुए और राजसभा जाने की तैयारी करने लगे। पारंसवी पुनः बोली, “भूलना मत। उन्हें साथ ले आना खाने पर।”