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भारत में अतिगरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले करोड़ों नागरिकों का इतने कम समय में गरीबी रेखा के ऊपर आना विश्व के अन्य देशों के लिए एक सबक है।

भारत में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया वर्ष 1991 में जब से आरंभ हुई है, तब से अर्थव्यवस्था और उसके कारकों में लगातार बदलाव आया है। कर सुधारों के साथ व्यापार करना तो आसान हुआ ही है, विभिन्न सरकारों की ओर से पारदर्शिता को लेकर समय समय पर बड़े प्रयास किए गये हैं। यह बात और है कि इतने प्रयासों के बावजूद अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा आज भी अनौपचारिक क्षेत्र की तरह ही काम कर रहा है।

आपने जाति-व्यवस्था या वर्ण व्यवस्था के बारे में तो सुना ही होगा? उसके पक्ष-विपक्ष में जो राय वामपंथियों की होती है और जो विचार तथाकथित दक्षिणपंथी कहलाने वाले (असल में एक पार्टी-नेता के समर्थकों की भीड़) के होते हैं, उनमें अंतर क्या है?

इस पूरी घटना के बीच सबसे अधिक सवाल रेलवे के ‘कवच’ सुरक्षा सिस्टम पर उठाए गए हैं जिसके बारे में हाल ही में यह जानकारी सामने आई थी कि इसके लगने से रेल दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।

ओडिशा में हुए हादसे के अतिरिक्त, इसी सप्ताह में दो बार ऐसा हो चुका जब रेलवे हादसे का शिकार हुई है या होते होते बची है। पहला मामला चेन्नई का है और दूसरा कन्नूर का।

ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसे के कारण करीब 288 लोगों की जान चली गई। वहीं 900 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज अपनी वीरता और रणनीति के साथ अपनी तीक्ष्ण कूटनीति से भी विरोधियों को हतप्रभ कर देते थे।

भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच वर्तमान में एक दूसरे के देशों के पत्रकारों के वीजा और सुविधाओं को लेकर एक शीत युद्ध चल रहा है। इसकी शुरुआत चीन के एक कदम से हुई है।

राहुल गांधी को जब प्रधानमंत्री की आलोचना करनी होती है तो वे विदेश चले जाते हैं। अब इस प्रक्रिया में वह देश का भी अपमान कर ही देते हैं।

वित्त वर्ष 2022-23 में किसानों को सस्ते उर्वरक उपलब्ध कराने और देश के गरीबों को मुफ्त अनाज मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपए सब्सिडी के तौर पर अतिरिक्त खर्चे हैं।