एक संवैधानिक प्रावधान ने जम्मू कश्मीर के वाल्मीकि समुदाय के भाग्य पर एक हस्ताक्षर ऐसा कर दिया, जिसकी बदौलत उनकी पीढ़ियां सिर्फ मैला ढोने और सफाई करने के काम से आगे नहीं बढ़ पाईं। ये काम किया था अनुच्छेद 35-ए ने, जिस पर आजकल सुप्रीम कोर्ट में बहस भी चल रही है।