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न्यूज़ क्लिक से जुड़े जिन पत्रकारों से पूछताछ हुई है, उनमें से अधिकांश अफवाहों की पत्रकारिता वर्षों से करते आये हैं।
प्रो. कुसुमलता केडिया द्वारा लिखी पुस्तक ‘कम्युनिस्ट चीन, अवैध अस्तित्व’ चीन की राजनीति को इतिहास की दृष्टि से समझने का प्रयास करती है।
हमले के पीछे एक वजह यह बताई जा रही है कि महेन्द्र यादव रिपोर्टर्स क्लब में चीन के राजदूत के द्वारा दिए गए बयान का विरोध कर रहे थे।
एक ऐसा भी देश था जिसने इस अपमान के इतिहास की ईमानदारी से समीक्षा की। इसका नाम है चीन।
कम्युनिस्ट चीन में जो भी संस्था कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण से बाहर हो जाती है उसे चीनी कम्युनिस्ट सरकार देश से बाहर का मार्ग दिखा देती है।
भारत के आत्मनिर्भर अभियान की निरंतर सफलता से घबराकर चीन छद्म लड़ाई व नैरेटिव वार (विमर्श युद्ध) का सहारा ले रहा है।
SCO के भीतर भारत की स्थिति तब स्पष्ट हो जाती है जब चीन के BRI का समर्थन करने से इनकार करने के साथ-साथ चीन के कार्यों का विरोध भी करता है।
पिनाराई विजयन की अगुवाई वाली केरल की कम्युनिस्ट सरकार की एक महात्वाकांक्षी योजना पर कई सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि योजना में वित्तीय गड़बड़ियों से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व के मुद्दे को भी दरकिनार किया गया है और साथ ही योजना में किए गए वादे के मुताबिक अभी प्रगति नहीं हो पाई है।
चीन के उत्पीड़न के इतिहास की शुरुआत होती है 1839 से 1842 के दौर से जब पहला अफीम युद्ध हुआ और चीन की बुरी हार हुई। यही वो समय था जब हांगकांग को एक संधि के तहत चीन को ब्रिटिश साम्राज्य को सौंपना पड़ा।
भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच वर्तमान में एक दूसरे के देशों के पत्रकारों के वीजा और सुविधाओं को लेकर एक शीत युद्ध चल रहा है। इसकी शुरुआत चीन के एक कदम से हुई है।