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बांग्लादेश में विपक्षी दल जमात ए इस्लामी के एक नेता दिलावर हुसैन सईदी की मौत के बाद दंगे भड़क गए हैं, दिलावर वर्षों से जेल में बंद था और उसे हाल ही में सीने में दर्द की शिकायत के चलते ढाका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।

31 जुलाई को मेवात में हुई हिंसा के लिए पहले से तैयारी की गई थी, ब्रजमंडल यात्रा पर हमले का कारण उसमें गौरक्षकों की सहभागिता थी। गिरफ्तार किए गए दंगाइयों ने पुलिस से पूछताछ में यह खुलासा किया है कि वह गोरक्षकों पर हमले की तैयारी पहले से कर रहे थे और नासिर-जुनैद का बदला हिन्दुओं को मार कर लेना चाहते थे।

ABVP ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि वे न्याय की देवी की पवित्र अवधारणा को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहे थे। साथ ही ABVP ने SFI के खिलाफ चावरा पुलिस में शिकायत दर्ज की है।

चेरियन ने रविवार को कहा कि जब वह सऊदी अरब गए तो उन्होंने ‘अजान’ नहीं सुनी, जबकि वहां कई मस्जिदें हैं। जब उन्होंने इसके बारे में पूछताछ की तो उन्हें उनके एक सह-यात्री ने बताया कि मस्जिदों के बाहर ‘अज़ान’ सुनने की अनुमति नहीं है।

31 जुलाई को मेवात के नूंह में बृजमंडल यात्रा पर हुए मुस्लिम भीड़ के हमले में 6 लोगों की दुखद मृत्यु हुई है। इस हिंसा में 4 नागरिकों समेत हरियाणा पुलिस के दो होम गार्ड भी मारे गए हैं। कानून व्यवस्था के लिए गुरुग्राम से नूंह को ड्यूटी पर भेजे गए गुरसेव और नीरज की हिंसक भीड़ ने हत्या कर दी।

मेवात में दंगों के बीच एक बाप और एक बेटे को मुस्लिम कट्टरपंथियों से अपनी सुरक्षा के लिए बुर्का और इस्लामी प्रतीकों का सहारा लेना पड़ा।

31 जुलाई को हरियाणा के राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे मेवात इलाके के नूंह क्षेत्र में भारी हिंसा हुई है। नूंह के नल्हड़ महादेव मंदिर में जल अर्पित कर आगे फिरोजपुर झिरका जा रही विश्व हिन्दू परिषद् की बृजमंडल यात्रा पर इलाके के मुस्लिम समुदाय ने घेर कर हमला किया।

हरियाणा के मेवात में विश्व हिन्दू परिषद् की भगवा यात्रा पर भारी पथराव हुआ है। भगवा यात्रा पर पथराव की योजना पहले से ही योजना बनाई जा रही थी।

अहमदिया मुसलमानों को लेकर इस समय देश मे राजनीति गर्म है। संक्षेप में खबर ये है कि आन्ध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने अहमदिया मुसलमानों को मुसलमान मानने से इनकार करते हुए उन्हें काफिर घोषित कर दिया। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यक मंत्रालय ने कड़ा विरोध जताया था। लेकिन अब जमीयत उलेमा हिन्द ने भी एक प्रस्ताव पारित कर अहमदिया मुसलमानों को गैर मुस्लिम और काफिर घोषित कर दिया है।

जम्मू कश्मीर राज्य सरकार ने 3 राजकीय कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी है। यह तीनों आतंकियों के लिए काम कर रहे थे और उनका समर्थन करते थे।