वर्ष 2022 का चिकित्सा क्षेत्र का नोबल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक स्वान्ते पाबो को मिला है। इसकी घोषणा नोबल पुरस्कार समिति ने 3 अक्टूबर को की। पाबो को यह नोबल उनके द्वारा निएन्डरथल मानव की हड्डियों से जीनोम का निकालने के लिए दिया गया है।
पाबो वर्तमान में जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट में कार्यरत हैं। पाबो का जन्म स्वीडन के शहर स्टॉकहोम में 1955 में हुआ था, उन्होंने अपनी मेडिकल की पढ़ाई उप्पसला यूनिवर्सिटी से वर्ष 1977-80 के बीच की है। स्वान्ते कई संस्थानों में शिक्षक के तौर पर कार्यरत रहे हैं।
मुश्किलों भरी खोज
स्वान्ते 40,000 सालों पहले पृथ्वी से विलुप्त हुए निएन्डरथल मानव की हड्डियों से जीन निकालने में 2010 में सफल हुए। साइंस वेबसाइट के अनुसार उन्होंने इस खोज के द्वारा मानवों की आनुवांशिकी में हुए बदलावों के बारे में खोज करने में सफलता पाई है।
पाबो को इस काम की शुरुआत में काफी समस्याएं झेलनी पड़ीं, जब उन्होंने 1980 के दशक में यह कार्य प्रारम्भ किया था तब तकनीक इतनी विकसित नहीं थी। इसके अतिरिक्त मिलने वाला डीएनए प्रदूषित भी हो जाता था, जिससे अनुसन्धान में काफी कठिनाई आती थी।
इस समस्या से निजात पाने के लिए उन्होंने काफी काम किया और इन हड्डियों से साफ़ डीएनए निकालने के लिए एक नए प्रकार के लैब की स्थापना की। पाबो ने अपने शुरूआती सालों में मिस्त्र की ममी से भी डीएनए निकालने में सफलता पाई थी।
पिता-पुत्र दोनों नोबल विजेता
2022 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल जीतने वाले स्वान्ते पाबो के पिता भी नोबल विजेता रहे हैं। पाबो के पिता सून बर्गस्टॉर्म को वर्ष 1982 में चिकित्सा के ही क्षेत्र में नोबल मिला था। उनकी तरह पुत्र स्वान्ते पाबो ने भी अब 40 साल बाद उसी क्षेत्र में नोबल हासिल लिया है।