परसाई जी ने लिखा था, आत्मविश्वास कई तरह का होता है, ज्ञान का, धन का, बल का, बुद्धि का, विद्या का। इसमें सबसे ऊँचा आत्मविश्वास मूर्खता का होता है, लेकिन एक आत्मविश्वास और होता है, गलतफहमी का! इस आत्मविश्वास की ऊँचाई मूर्खता वाले आत्मविश्वास से बस आधा इंच नीचे होती है। कह सकते हैं कि गलतफहमी के आत्मविश्वास का अगला पायदान मूर्खता का आत्मविश्वास होता है। जो अक्सर ही हमें बॉलीवुड के कलाकारों में नज़र आता है और इन्ही में से एक है स्वरा भास्कर।
जो इन दिनों इसी गलतफहमी के आत्मविश्वास की चोटी पर बैठी हैं। अब सवाल यह है कि कौन सी वाली स्वरा भास्कर? क्योंकि कई तरह के आत्मविश्वास की तरह ही कई तरह की स्वरा भास्कर भी हैं।
जैसे, एक्टिविस्ट स्वरा भास्कर, बुद्धिजीवी स्वरा भास्कर, एक्टर स्वरा भास्कर, री-एक्टर स्वरा भास्कर, हेटर स्वरा भास्कर और दी बेस्ट स्वरा भास्कर!
वाक़ई में, दैनिक भास्कर की तरह ही स्वरा भास्कर के भी कई एडिशन हैं। फिलहाल तो हम एक्टर स्वरा भास्कर की बात कर रहे हैं क्योंकि हाल ही में इन्होंने एक इंटरव्यू दिया है जिसमें वे बॉलीवुड पर सवाल करती नज़र आ रही हैं।
एक्टर स्वरा भास्कर का कहना है कि उनके विकट टैलेंट को बॉलीवुड पहचान नहीं सका और उन्हें वह सब नहीं मिला जिसकी वो हकदार हैं। अब वो किसकी हक़दार हैं, इस पर तो बस अनुमान लगाया जा सकता है।
हाँ तो स्वरा की बॉलीवुड से शिकायत यह है कि वो उनको काम नहीं दे रहा! अब बॉलीवुड भी कहाँ से काम दे? उसके पास काम हो तब तो दे।
और फिर बॉलीवुड काम देना भी चाहे तो स्वरा भास्कर को क्यों दे? अपने एक्टिविज़म के कारण स्वरा भास्कर ने तो तीन चौथाई भारत से पंगा ले रखा है। आप सोच रहे होंगे तीन चौथाई कुछ अधिक हो गया। चलिए दो तिहाई कर लेते हैं।
हाँ तो स्वरा भास्कर ने दो तिहाई भारत से पंगा ले रखा है। शाहीन बाग में ये दिखाई देती हैं। फेक न्यूज़ पर प्लेकार्ड लेकर ये फ़ोटो खिंचाती हैं। भारत को विदेशों में ये बदनाम करती हैं। पाकिस्तान को ये अपना घर बताती हैं। फ़िलिस्तीन तक जाकर एक्टिविज़म ये कर आती हैं। इज़राइल और भारत के रिलेशन को ये गरियाती हैं। ऐसे में कल को बॉलीवुड ने इन्हे रोल दे भी दिया और इधर लोगों ने मूवी का बहिष्कार कर दी तो?
कौन निर्माता ये रिस्क लेना चाहेगा? पिछले दो-ढाई सालों में कई लोग पानी नापने के चक्कर में डूब चुके हैं। लाल सिंह चड्ढा को ही ले लें। खैर जाने दीजिए। उस तरफ गए तो दूर तक निकल जाएँगे।
वैसे भी स्वरा भास्कर रीयल लाइफ़ में इतने रोल कर रही हैं कि उन्हें फ़िल्मों में रोल की कमी नहीं खलनी चाहिए । बॉलीवुड में रोल न मिलने का दुःख व्यक्त करने से पहले वे राहुल गाँधी का हाथ पकड़, अरे भाग नहीं रही थी, राहुल जी का हाथ पकड़ पदयात्रा कर रही थी और उससे पहले अमेरिका में भारत विरोधी लोगों के साथ फ़ोटो खिंचवा रही थी। ऐसे में कोई निर्माता उन्हें फ़िल्म के लिए साइन करना भी चाहे तो ये करने के लिए मिले कहाँ?
इसलिए स्वरा भास्कर के लिए हमारी एक ही सलाह है। असली जीवन में इतने सारे रोल एंजॉय करें। कहाँ बॉलीवुड के नकली रोल के लिए आँसू छलका रही हैं और फिर दिन बदलते समय नहीं लगता। आजकल बॉलीवुड में सीक्वल काल चल रहा है। कल को अनारकली ऑफ़ आरा-पार्ट टू बनी तो उसमें आप ही रहेंगी, दी बेस्ट हीरोइन!