दिनांक 25 अक्टूबर 2022, कार्तिक कृष्ण अमावस्या, मंगलवार को ग्रस्तास्त खण्ड सूर्यग्रहण है। यह ग्रहण भारत में ग्रस्तास्त खण्ड सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा।
सूर्यग्रहण का सनातन धर्म में धार्मिक महत्त्व होने से ‘द पैम्फलेट‘ ने अ.भा. विद्वत् परिषद्, काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. कामेश्वर उपाध्याय से बात की ताकि सभी प्रश्नों का एक ही जगह समाधान हो सके।
भारतीय समयानुसार ग्रहण का विश्व में प्रारम्भ दि. 14:28, व भारत में प्रारम्भ सायं 16:15 पर होगा एवं मोक्ष सायं 18:33 पर होगा। खण्ड सूर्यग्रहण का कुल समय 07:04:55 घष्टादि होगा।
भारत में स्थान विशेष से सूर्योदय सूर्यास्त में भिन्नता के कारण ग्रहण के स्पर्श और मोक्ष आदि समयों में भिन्नता होगी। ग्रहण का सूतक प्रातः सूर्योदय पूर्व 04:15 से ही प्रारम्भ हो जाएगा।
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चूँकि ग्रहणकाल में ही सूर्य अस्त हो जाएँगे इसलिए शुद्धि स्नान (वस्त्रों सहित), पूजन तथा भोजन आदि अगले दिन अर्थात् 26 अक्टूबर 2022 को ग्रहण मुक्त शुद्ध सूर्य का दर्शन करने के बाद ही होगा। बाद में गंगाजल-गौमूत्र से सम्पूर्ण घर में शुद्धि करनी होगी।
सूतक – 25 अक्टूबर को सुबह 04:15 AM से 26 अक्टूबर को सूर्योदय तक (स्थानानुसार)
मोक्ष स्नान – 26 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद
ऐसा होगा ग्रहण का प्रभाव

शास्त्रों में ग्रहण के व्यक्तिगत, सामाजिक व राष्ट्रिय स्तर पर शुभ और अशुभ फल वर्णित हैं। यह ग्रहण दक्षिणायन में होने से व्यापारियों व निम्नवर्ग के लिए हानिकारक कहा है। यह ग्रहण दिनमान के सातवें भाग में आरम्भ होने के कारण चोर, डाकुओं व मलेच्छों के लिए विनाशक होगा।
यह ग्रहण तुला राशि में हो रहा है अतः पश्चिम समुद्र के निकटस्थ राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोआ, केरल, व अवन्ती अर्थात् मध्यप्रदेश राज्य व पाकिस्तान, बांग्लादेश में सरकार को हानि का योग बनेगा। साधुओं व वैश्य व्यापारी वर्ग को भी हानि होगी। तुला राशि व स्वाती नक्षत्र के जातकों के लिए हानिकारक रहेगा।
ग्रहदृष्टि के अनुसार युद्ध, अग्रिकोप और चोरों का भय होगा पर गुरु की दृष्टि अशुभफलों को न्यून करेगी। ग्रहण कार्त्तिक मास में होने से अग्नि से आजीविका वाले व्यवसायों की हानि का योग है, उत्तरप्रदेश, बिहार व उड़ीसा में जनता पीड़ित होगी। उड़ीसा व आंध्रप्रदेश में राजनीतिक उठापटक का योग है, सेना में क्षत्रियों को ताप होगा।

कपास, वस्त्र उद्योग में मन्दी होगी, अनाज और दालों में तेजी होगी। यदि ग्रहण के 7 दिन के भीतर अच्छी वर्षा हो जाए तो सब अशुभफल नष्ट हो जाता है। एक ही महीने में सूर्यग्रहण के एक पक्ष बाद 8 नवम्बर को चन्द्रग्रहण हो रहा है जिस कारण ब्राह्मणों को यज्ञों के फल मिलेंगे और यज्ञ करने की रुचि होगी। सेना में हलचल मचेगी, राजनेताओं में विरोध होगा, पर जनता के लिए शुभ रहेगा। सूर्यग्रहण के तुरंत बाद चन्द्रग्रहण से राहत मिलेगी।
इस खण्डग्रास सूर्यग्रहण का राशिफल इस प्रकार है

मेष – स्त्री कष्ट, वृष – सुखदायक, मिथुन – चिन्ता
कर्क – कष्ट, सिंह – श्रीप्रद, कन्या – क्षति
तुला – घात, वृश्चिक – हानि, धनु – लाभप्रद
मकर – सुखदायक, कुम्भ – मानहानि, मीन – मृत्युतुल्यकष्ट
देश के प्रमुख स्थानों का ग्रहण प्रारम्भ, मध्य व सूर्यास्त निम्न है।


सूर्यग्रहण का सूतक ग्रहण आरम्भ से 12 घण्टे पहले और चन्द्रग्रहण का सूतक 9 घण्टे पहले लगता है। चन्द्रमा ग्रस्त अवस्था में उदित होता है तो सूर्योदय से ही सूतक होता है।
ग्रहणकाल के सूतक आदि के नियम
सूतक काल में वृद्ध, बालक और रोगी को छोड़कर किसी को भोजन नहीं करना चाहिए। पर ग्रहण आरम्भ होने के एक पहर पहले से बालक, वृद्ध व रोगी को भी भोजन न करना चाहिए। सूर्य ग्रस्त अवस्था में अस्त हो तो रात्रि में भोजन न करे, अगले दिन ग्रहणमुक्त सूर्य का दर्शन कर ही भोजन करे।
सूतक काल में मन्दिर में दर्शन पर्दा ढककर मंगल कर देने चाहिए, व देवमूर्ति आदि का स्पर्श नहीं करना चाहिए। सूतक का पका अन्न ग्रहण करने योग्य नहीं रहता है। पर दूध, दही, घी, जल सूतक में दूषित नहीं होता है। जल, सब्जी आदि खाद्य पदार्थों में ग्रहण के पहले कुशा और तिल डाल देने से यह दूषित नहीं होते ।

ग्रहण के समय में सोने, व मल-मूत्र त्याग का भी निषेध कहा गया है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि, ग्रहणकाल में सोने से रोग, मूत्रत्याग से दरिद्रता व मलत्याग से अधम योनि, मैथुन से शूकर योनि, उबटन करने से चर्मरोग और भोजन करने से अधोगति मिलती है।
ग्रहण काल में केवल जप, तप करना चाहिए। ग्रहण के जप-तप, स्नान-दान का चन्द्रग्रहण में लाख गुणा और सूर्यग्रहण में 10 लाख गुणा फल होता है। यदि गंगा स्नान प्राप्त हो जाए तो चन्द्रग्रहण में करोड़ गुणा और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुणा पुण्य कहा है।
ग्रहण के आरम्भ से पहले स्नान करना चाहिए, ग्रहण के मध्यकाल में जप, पूजापाठ, हवन, करना चाहिए और ग्रहण समाप्त होने पर वस्त्रों सहित स्नान करना चाहिए व अन्न, तिल, वस्त्र, दक्षिणा, गौ आदि का शक्ति के अनुसार दान करना चाहिए। ग्रहण समाप्ति के उपरान्त मोक्षस्नान करके ही सूतक समाप्त होता है। सूर्य व चन्द्रग्रहण में श्राद्ध करने का अमोघ फल शास्त्रों में कहा गया है। ग्रहण में श्राद्ध सूखे अन्न, घी व दक्षिणा से संकल्पपूर्वक करना चाहिए।

ग्रहण इन इन राशियों पर भारी
जिसकी जन्मराशि या जन्मनक्षत्र पर ग्रहण हो, या 4, 8, 12 वीं राशि पर ग्रहण हो उसको ग्रहण बहुत अनिष्टकारक होता है, उसे इस दुष्फल की शान्ति के लिए दान करना चाहिए। इस सूर्यग्रहण में तुला, कन्या, वृष, मकर राशि व स्वाती नक्षत्र के जातकों के लिए ग्रहण ज्यादा अशुभ है।
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