सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को माओवादियों से संपर्क मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को निलंबित कर दिया। एक दिन पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने जीएन साईबाबा और अन्य आरोपितों को रिहा किए जाने का आदेश जारी किया था।
जस्टिस एमआर शाह और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने यह आदेश जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट के सुनाए फैसले को निलंबित करना आवश्यक है।
पीठ ने आरोपी जीएन साईबाबा की नाजुक स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए घर में नजरबंद रखने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। अपने आदेश में पीठ ने कहा कि अपराध बहुत गंभीर हैं, और आरोपियों को सबूतों की विस्तृत समीक्षा के बाद ही दोषी ठहराया गया था।
किस मामले में हैं दोषी?
साल 2017 में महाराष्ट्र के जिले गढ़चिरोली की एक सत्र अदालत ने जीएन साईबाबा और अन्य पांच को माओवादी संबंधों और देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने का दोषी ठहराया था।
जीएन साईबाबा जेनयू के छात्र और और डीयू में प्रोफेसर थे। वह अभी नागपुर जेल में बंद है और चलने फिरने में असमर्थ है।
अन्य आरोपितों के नाम महेश करीमन तिर्की, पांडु पोरा नरोटे, हेम केशवदत्त मिश्रा और प्रशांत सांगलीकर और विजय तिर्की हैं। आरोपी पांडु पोरा नरोटे की पहले ही मृत्यु हो चुकी है।