सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापन नरेश अरविन्द केजरीवाल सरकार को एक बार फिर फटकार लगाते हुए कहा है कि अगर दिल्ली की आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार 3 वर्षों में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए खर्च कर सकती है तो फिर इन्फ्रा प्रोजेक्ट में भी वित्तीय योगदान दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को कहा है कि या तो बकाया राशि का भुगतान करो या फिर हम तुम्हारे विज्ञापनों के लिए जो बजट आवंटित किया जाता है उसे कुर्क कर लेेंगे।
दरअसल, अरविन्द केजरीवाल सरकार को RRTS प्रोजेक्ट यानी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, जो दिल्ली-गाजियाबाद और मेरठ सेक्शन से जुड़ा है, उसके लिए 1,180 करोड़ रुपए चुकाने थे।
अब केजरीवाल सरकार ने 765 करोड़ रुपए का भुगतान तो किया लेकिन बचे 415 करोड़ रुपए देने में हाथ खड़े कर दिए और कहा कि भाई फंड की कमी है। फिर मामला पहुँचा सुप्रीम कोर्ट।
तब सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल सरकार असमर्थता पर, पिछले 3 वर्षों के विज्ञापन का ब्योरा यह कहते हुए मांगा कि यह प्रोजेक्ट तो राष्ट्रीय महत्व का है। इसके बाद केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि उन्होंने 3 साल में 1073 करोड़ रुपए विज्ञापनों पर खर्च किए।
इसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल सरकार की तरफ से पेश हुए कॉन्ग्रेसी वकील अभिषेक मुन सिंघवी ने आश्वासन दिया है कि यह भुगतान किया जाएगा।
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