भारत के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ ने आज यानी शुक्रवार (11 नवम्बर, 2022) को गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दोषी अब्दुल रहमान माजिद की जमानत अवधि को बढ़ा दिया है। अब्दुल रहमान अभी जमानत पर बाहर है। साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के आरोप में अब्दुल को गुजरात हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुना रखी है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोली, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने अब्दुल रहमान माजिद की जमानत अवधि इसलिए बढ़ाई है, ताकि, माजिद अपनी पत्नी की देखभाल कर सके।
बता दें कि वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा में 59 हिन्दू कारसेवकों को ट्रेन की एक बोगी में जिन्दा जला दिया गया था। कारसेवक जिस ट्रेन की बोगी में यात्रा कर रहे थे, उसमें कई महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे।
अब्दुल रहमान माजिद गोधरा ट्रेन अग्निकांड का सह-आरोपी है। माजिद ने जलती ट्रेन को बुझाने के लिए जा रही दमकल की गाड़ियों पर पत्थर फेंकने और सरकारी कर्मचारियों को घायल कर, सही समय पर घटनास्थल तक मदद न पहुँचने का षड्यंत्र रचा था। इससे जान की हानि तो हुई ही, साथ ही रेलवे को भी करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था।
माजिद ने सुप्रीम में जमानत याचिका की अवधि को बढ़ाने की याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि अब्दुल रहमान माजिद की पत्नी साल 2019 से कैंसर से पीड़ित हैं। इसके अलावाा, उनकी दो बेटियाँ हैं, जो मानसिक रूप से कमजोर हैं। इसलिए, अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज माजिद की जमानत अवधि को बढ़ा दिया है।
गुजरात हाईकोर्ट से आजीवन कारावास के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। माजिद के अधिवक्ता के सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह याचिका अभी काफी लम्बित रहने वाली है। इसलिए माजिद के परिवार की हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अवधि बढ़ाने की अपील स्वीकार कर ली।
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