देश की सर्वोच्च अदालत ने जोशीमठ भू-धसांव मामले पर दायर की गई याचिका की त्वरित सुनवाई से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार पहले ही इस मामले पर काम कर रही है।
बता दें कि ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट में जोशीमठ मामले पर त्वरित सुनवाई के लिए याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चन्द्रचूड़ ने मामले की त्वरित रूप से सुनवाई किए जाने पर कहा, “देश का हर महत्वपूर्ण मुद्दा हमारे पास आए, ऐसा आवश्यक नहीं है। देश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई संस्थाएं है जो इस मामले को देख रहीं हैं। वह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी मुद्दों पर काम आकर सकती हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद चार पीठों में से एक ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य हैं और यह पीठ जोशीमठ में ही स्थित है। उनके द्वारा दायर याचिका पर अब 16 तारीख को सुनवाई होगी।
उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित जोशीमठ चारधामों में से महत्वपूर्ण धाम बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार है। पिछले कुछ समय से जोशीमठ में इमारतों, सड़कों और चट्टानों में दरारें आ रही हैं, जिनसे लगातार बड़ी मात्रा में पानी का रिसाव भी हो रहा है। पिछले कुछ दिनों में इन दरारों में और तेजी आई है।
यह भी पढ़ें: खण्डित शिवलिंग के दावे का जोशीमठ के पुजारी ने किया Fact Check
जोशीमठ भू-धसांव को लेकर पहले ही प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव मीटिंग कर चुके हैं, प्रधानमन्त्री मोदी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मिलकर हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उत्तराखण्ड प्रशासन ने अब इन जर्जर हुए घरों को गिराने की तैयारी शुरू कर दी है और साथ ही विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए भी कार्य करना शुरू कर दिया है।
जोशीमठ को पहले ही आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। लगातार प्रशासन हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है। NDRF और राज्य की SDRF टीमें लगातार क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। राज्य सरकार ने हर प्रभावित परिवार को 4000 रुपए प्रति माह किराया भत्ता के रूप में देने का फैसला किया है। इसके अतिरिक्त इन परिवारों को अलग स्थान पर घर भी दिए जाएंगें।
इस बीच प्रशासन ने ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए दो होटलों को गिराने की कार्रवाई भी चालू कर दी है।
यह भी पढ़ें: जोशीमठ: भू-धंसाव से निपटने पहुंचा वैज्ञानिकों और NDRF का दल