बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में मंगलवार 30 मई को ईडी ने अभिषेक बनर्जी के करीबी सहयोगी सुजॉय कृष्ण भद्र के साथ करीब 12 घंटों की पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया।
भद्र की ये गिरफ़्तारी उसके शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी के अधिकारियों के साथ सहयोग ना देने और सवालों को टालते जाने के बाद की गई। वहीं अधिकारियों का दावा है कि भद्र के तीन कंपनियों के साथ लिंक्स हैं, जहाँ से करोड़ों रुपये के अवैध लेन-देन की बात की जा रही है। साथ ही ईडी के अधिकारियों ने इससे पहले उनके घर पर छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज बरामद किए थे।
बता दें कि शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर ईडी ने पिछले हफ्ते भद्र को समन भेजकर पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था। जहाँ वो मंगलवार को पहली बार ईडी के सामने पेश हुए। इससे पहले भद्र कई बार सीबीआई के सामने पूछताछ के लिए पेश हो चुके हैं।
भाजपा ने बताई महत्वपूर्ण गिरफ्तारी
शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर कई गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं लेकिन भाजपा ने भद्र की गिरफ्तारी को महत्वपूर्ण बताया। राज्य में बीजेपी के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य का इस गिरफ्तारी को लेकर कहना है कि भ्रष्टाचार में शामिल टीएमसी नेताओं की सूची लंबी है। कानून अब मास्टरमाइंड और सबसे बड़े लाभार्थियों को पकड़ने के करीब पहुंच रहा है। अब तक की ये सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण गिरफ्तारी है।
भद्र की गिरफ्तारी के बाद बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ट्वीट किया कि भद्र के साथ कइयों के नाम थे जिसमें एक नाम रुजिरा बनर्जी का भी है। रुजिरा बनर्जी, ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की पत्नी हैं। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, “कानून के लंबे हाथ आखिरकार मास्टरमाइंड और सबसे बड़े लाभार्थियों तक पहुंच रहे हैं। किसी को बख्शा नहीं जाएगा बड़े और पराक्रमी जेल जाएंगे। समय निकल रहा है।”
कौन है सुजॉय कृष्ण भद्र और किस तरह वो इस घोटाले से जुड़े हुए हैं?
सुजॉय कृष्ण भद्र, बंगाल में एक बिजनेसमैन है जिन्हें कालीघाटेर काकू यानी कालीघाट का चाचा कहा जाता है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 2011 में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के खिलाफ एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भवानीपुर उप चुनाव लड़ा था और 809 वोट हासिल किए थे।
वहीं सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक बनर्जी की माँ भद्र के नाम से चलने वाली कंपनी में डायरेक्टर हैं, जो बनर्जी के ऑफिस में कर्मचारी होने का दावा करती हैं और अभिषेक बनर्जी कंपनी लीप्स एंड बाउंड्स प्राइवेट लिमिटेड में डायरेक्टर हैं। यह कंपनी पैकेज्ड मिनरल ड्रिंकिंग वॉटर बनाती है। वहीं शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर भद्र का नाम सबसे पहले गिरफ्तार एजेंटों में से एक तापस मंडल ने लिया था। जिसके बाद भद्र पर कार्रवाई की गई।
इससे पहले ईडी ने 20 मई को बेहाला में भद्र के फ्लैट और ऑफिस में तलाशी की थी और उससे भी पहले 4 मई को उनके फ्लैट में तलाशी की थी। जिसके बाद सीबीआई के समक्ष वो एक बार पेश हुए और दूसरे समन में अपने वकील नजमुल आलम सरकार को भेजा।
वहीं इस पर भद्र के वकील नजमुल आलम सरकार का कहना है की ईडी के अधिकारी हमसे संवाद नहीं कर रहे हैं। “मैं एजेंसी के दफ्तर के बाहर काफी देर तक इंतज़ार करता रहा लेकिन मुझे अंदर नहीं जाने दिया गया”।
ईडी ने भ्रष्टाचार की जांच में राज्य के लोक निर्माण विभाग, नगर विकास विभाग और नगर सेवा आयोग को पत्र लिखकर कुछ विवरण मांगे है। एजेंसी ने उन प्रक्रिया के बारे में पूछताछ की है जिसके तहत पिछले आठ साल में भर्तियां की गई हैं। ईडी ने यह भी जानना चाहा कि इतने सालों में कितने लोगों को रोजगार मिला है।
क्या है बंगाल शिक्षक एसएससी भर्ती घोटाला?
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला को आमतौर पर एसएससी घोटाला भी कहा जाता है। एसएससी द्वारा 2014 में कहा गया था कि शिक्षकों को पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा संचालित स्कूलों में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) के माध्यम से नियोजित किया जाएगा। इसी में पहली बार कथित धोखा धड़ी सामने आई थी।
एसएससी ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया वर्ष 2016 में शुरू की थी। पार्थ चटर्जी उस समय पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग के प्रभारी मंत्री थे। इसके बावजूद, भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में कई शिकायतें दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि कम ग्रेड वाले कई परीक्षार्थियों को मेरिट लिस्ट में ऊपर रखा गया था। ऐसे आवेदकों द्वारा नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के कई आरोप भी सामने आए हैं जो योग्यता सूची में भी नहीं थे।
शिक्षक भर्ती घोटाले में अब तक तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं और मंत्रियों के नाम का खुलासा हो चुका है और उनमें से कई गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं।
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