बीते दिनों अमेरिकी समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा भारतीय समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक पर किए गए खुलासे के बाद वामपंथी गैंग में हल्ला मचा हुआ है। यह स्पष्ट होने के बाद कि न्यूजक्लिक और इससे जुड़े लोगों को चीन ने फंडिंग दी है, वामपंथी गैंग से जुड़े लोगों ने न्यूज़क्लीक के समर्थन में एक पत्र जारी किया है।
इस पत्र में कहा गया है कि न्यूज़क्लिक पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और उसे जबरदस्ती निशाना बनाया जा रहा है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कई लोग वही हैं जो कि 1993 के मुंबई हमलों के दोषी याकूब मेमन की फांसी रुकवाने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिख रहे थे।
पत्र लिखने वालों में जॉन दयाल जैसे लोग भी शामिल हैं जो कि भारत माता को ‘मदर मैरी’ दिखाते हैं। वहीं, इसमें सिद्धार्थ वरदराजन और एमके वेणु जैसे लोग भी शामिल हैं जिनका प्रोपगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ बीते दिनों मेटा को लेकर एक झूठी स्टोरी पर माफ़ी मांग चुका है। नसीरुद्दीन शाह ने भी इस पत्र का समर्थन किया है। समर्थन करने वालों में ‘द हिन्दू’ समाचार पत्र से जुड़े हुए एन राम भी हैं। इसी अंग्रेजी समाचार पत्र द हिन्दू को इससे पहले भी चीनी सरकार से खूब विज्ञापन मिलते रहे हैं।
हाल ही में खुलासा हुआ था कि समाचार वेबसाइट न्यूजक्लिक और इसके एडिटर प्रबीर पुरकायस्थ को 38 करोड़ रुपए चीन से अलग-अलग माध्यमों से मिले थे। इस पूरी कड़ी में एक व्यापारी नेविल रॉय सिंघम का नाम सामने आया था। चीन द्वारा न्यूजक्लिक के अलावा कट्टर मोदी-विरोधी एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़, अभिसार शर्मा, परंजय जॉय ठाकुरता, उर्मिलेश और अन्य लोगों को लाखों रुपए दिए गए।
न्यूज़क्लीक के समर्थन में एक अन्य लिस्ट भी सामने आई है, जिसमें करीब 755 लोगों ने अपना समर्थन जाहिर किया है। इसमें समाचार पत्र के सम्पादक, JNU एवं DU के प्रोफेसर्स से लेकर रोमिला थापर, अशोक कुमार पांडेय, इरफ़ान हबीब जैसे कथित इतिहासकार भी शामिल हैं।

चीन से पैसे लेने वाले यह लोग लगातार भाजपा, मोदी और केंद्र सरकार के आलोचक रहे हैं और कई बार फेक न्यूज भी फैलाते रहे हैं। अब इनके समर्थन में इनकी पूरी गैंग आ गई है।
न्यूजक्लिक को आलोचना से बचाने के लिए पत्र लिखने वाले यह लोग भी इसी तरह के कामों में संलिप्त रहे हैं। चीन से पैसे लेकर खबर लिखना इन कथित सामजिक कार्यकर्ताओं ने अभिव्यक्ति की आजादी माना है। इन सभी ने न्यूजक्लिक के विरुद्ध मीडिया ट्रायल की भी बात कही है। वह बात अलग है कि इससे पहले अडानी से लेकर राफेल मामले तक यह स्वयं ही मीडिया ट्रायल कर चुके हैं।
वर्ष 2021 में न्यूज़क्लिक पर ED और आयकर की जांच चालू हुई थी जिसमें बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं।
यह भी पढ़ें: न्यूजक्लिक की चीन से फंडिंग: सिर्फ सिंघम नहीं, गिरोह से जुड़ा है पूरा ईकोसिस्टम