देश में समूह ‘ख’, ‘ग’ और दिल्ली पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों के लिए भर्तियाँ करने वाली संस्था कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission) पहली बार हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 स्थानीय भाषाओं में परीक्षा का आयोजन कराने जा रहा है।
कर्मचारी चयन आयोग अप्रैल, 2023 में आयोजित होने वाली मल्टी टास्किंग स्टाफ (Multi Tasking Staff) की परीक्षा इन भाषाओं में कराएगा। मल्टी टास्किंग स्टाफ देश के केन्द्रीय विभागों में सहायक श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती की परीक्षा होती है। दसवीं पास की योग्यता को आधार बनाने वाली यह परीक्षा आयोग हर साल आयोजित की जाती है। अब तक यह मात्र हिंदी और अंग्रेजी में आयोजित की जाती है।
कर्मचारी चयन आयोग, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Department of Personnel & Training) के अंतर्गत आता है। यह मंत्रालय वर्तमान में प्रधानमन्त्री के पास है। मंत्रालय ने 20 जनवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके यह जानकारी दी है। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, हिंदी और अंग्रेजी के अलावा असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू में यह परीक्षा आयोजित की जाएगी।
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कर्मचारी चयन आयोग द्वारा इस कदम पर प्रधानमन्त्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा, “यह कदम प्रधानमन्त्री मोदी की सभी अभ्यर्थियों को समान अवसर दिलाने के विजन का एक उदाहरण है, इसके अतिरिक्त भाषाई आधार पर किसी को समस्याएँ ना आएं यह भी ध्यान रखा गया है।”
डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा, “इस कदम के माध्यम से अलग-अलग राज्यों के अभ्यर्थियों की लम्बे समय से जारी उस मांग को पूरा किया गया है जो यह मांग कर रहे थे कि हिंदी और अंग्रेजी के अलावा और भी भाषों भाषाओं में परीक्षा कराई जाए। इससे पूरे देश में बड़े स्तर पर अभ्यर्थियों को फायदा होगा।”
कर्मचारी चयन आयोग की इस एमटीएस विज्ञप्ति की परीक्षा के लिए हाल ही में एक नोटिस जारी करके इस भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं। इसके लिए 18 जनवरी 2023 से 17 फरवरी 2023 तक आवेदन किया जा सकेगा। इसमें 10 हजार से अधिक पदों के लिए आवेदन मंगाएं गए हैं।
मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया कि इस काम के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने एक विशेषज्ञ समिति से सुझाव मांगे थे, जिसके सुझाव के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि निचले स्तर की भर्तियों के लिए कई भाषों में परीक्षाएं कराई जानी चाहिए, इसके लिए पहले कुछ भाषाओं से चालू करके आगे उन्हें देश के संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में कराया जाए।