जी-20 की मेजबानी मिलने के साथ ही भारत ने इसके आयोजन को पर्यटन, लोक-संस्कृतियों के विकास एवं भारतीय मूल्यों को प्रदर्शित करने के लिए किया है। जी-20 की पर्यटन बैठकों का आयोजन देश के विभिन्न शहरों में किया जा रहा है। फिलहाल इसकी बैठक जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में चल रही हैं और जो नजारें वहां से सामने आ रहे हैं उन्होंने विश्व में कश्मीर की नई तस्वीर पेश की है।
कश्मीर की बहाल होती शांति और विकास दर्शाने का इससे अच्छा अवसर शायद ही हो सकता था। जी-20 के 17 देशों ने इसमें भाग लिया और कश्मीर से अपनी तस्वीरें साझा कर दुनियाभर को संदेश दिया है कि जम्मू कश्मीर की खूबसूरती अतुलनीय है।
कश्मीर पर सरकार लंबे समय से कह रही है कि वहां की स्थिति अब शांतिपूर्ण है। हालांकि पाकिस्तान प्रायोजित प्रोपगेंडा ने जो नरैटिव लंबे समय से फैला रखा था उससे दुनिया ही नहीं देशवासियों का कहीं न कहीं संदेहग्रस्त होना स्वभाविक था। जी-20 बैठक का श्रीनगर में आयोजन को लेकर यह अनुमान लगाया जा सकता था कि यह एक भवन में कड़ी सुरक्षा और सेना के बीच होने वाली बैठक होगी। हालांकि जो तस्वीरें लगातार सामने आई वो इस नरैटिव को ध्वस्त करने वाली रहीं। श्रीनगर में प्रतिनिधि शिकारा का आनंद ले रहे हैं, योग कर रहे हैं, पारंपरिक परिधानों में कश्मीर की खूबसूरती देख रहे हैं और अपने-अपने देशवासियों के साथ साझा भी कर रहे हैं।
बहरहाल कश्मीर में हुई इस बैठक के फायदे और सफलता पर चर्चा करने से पूर्व भारत के भू-राजनीति के मास्टर स्ट्रोक पर बात करनी चाहिए। श्रीनगर में जी-20 के सफल आयोजन ने प्रोपगेंडा मीडिया, पाकिस्तान और चीन के उन दावों को करारा जवाब दिया है जिन्होंने कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र बताकर इसमें कार्यक्रम आयोजित न करने की बात कही थी।
पाकिस्तान जी20 का हिस्सा नहीं होने के कारण इसके कार्यक्रमों से कोई संबंध नहीं रखता है। हालाँकि अपने कश्मीर प्रलाप के तहत एक बार फिर उसने ओआईसी देशों को ऑफिशियल पत्र लिखकर जी-20 बैठक में शामिल नहीं होने की अपील की थी। पाकिस्तान की अपील का कोई बड़ा असर नजर नहीं आया है। जी-20 देशों में से मात्र तीन देशों ने कार्यक्रम में भाग नहीं लिया है जिनमें सउदी अरब, तुर्की एवं चीन शामिल है। चीन को छोड़ दें तो बाकि देशों ने तटस्थ रहने का निर्णय लिया है और बैठक में शामिल न होने के लिए कश्मीर पर कोई बयान नहीं दिया है।
ओआईसी देशों में से इंडोनेशिया ने श्रीनगर में हुए कार्यक्रम में भाग लिया है। सउदी अरब द्वारा शामिल न होने का कारण कश्मीर का विवादित होना नहीं बताया है। ऐसे में पाकिस्तान का इससे समर्थन के रूप में देखना हास्यपद ही होगा क्योंकि जम्मू कश्मीर में पर्यटन और यहां के विकास में निवेश करने वाले देशों में सउदी अरब अग्रणी रहा है।
वहीं, चीन को इससे परेशानी पाकिस्तान का समर्थन नहीं बल्कि स्वयं के स्वघोषित विस्तारवादी नीति पर खतरे के कारण था। इस अवसर का प्रयोग कर चीन भारत को अरुणाचल एवं लद्दाख में भी जी-20 का आयोजन न करने की सलाह देने का प्रयास कर रहा था। हालांकि भारत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है कि भारत अपने संप्रभुता के तहत किसी भी हिस्से में कार्यक्रम का आयोजन कर सकता है।
दरअसल, श्रीनगर में जी-20 के सफल आयोजन और दुनिया भर में इसकी चर्चा का कुछ श्रेय भी पाकिस्तान एवं चीन को देना चाहिए। चीन को अधिक क्योंकि वो जी-20 देशों का हिस्सा है। श्रीनगर में होने वाला आयोजन पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण है पर यह कोई बड़ी राजनीतिक वार्ता की बैठक नहीं थी। ऐसे में इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आना प्रत्याशित नहीं था। हालांकि वैश्विक मीडिया में इसकी चर्चा चीन द्वारा बॉयकॉट करने के कारण अधिक फैली और कश्मीर में इसके सफल आयोजन को पूरी दुनिया ने देखा।
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साथ ही भारत द्वारा इसके सफल आयोजन ने वैश्विक मंचों पर दो स्पष्ट संदेश दिए हैं। प्रथम; भारत अपने क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के सफल आयोजन करने में सक्षम है। दूसरा; जम्मू कश्मीर अपने दमन के इतिहास को पीछे छोड़ चुका है और निवेश एवं नव-विकास के लिए पूरी तरह तैयार है।
श्रीनगर को संवेदनशील बताकर जो लोग इसके आयोजन को टालने की बात कर रहे थे उन्हें समझने की आवश्यकता है कि जब बदलाव किया जाए तो उसे दुनिया को दिखाना आवश्यक है। यह आपके कर्मण्यता एवं दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण जापान है। जहां हाल ही में जी-7 का सम्मेलन आयोजन किया गया था। यह सम्मेलन हिरोशिमा शहर में हुआ। जापान में टोक्यो, क्योटो और योकोहामा जैसे कई महानगर मौजूद हैं पर फिर भी जी-7 का आयोजन एक समय परमाणु बम की त्रासदी झेल चुके हिरोशिमा में किया गया। क्या यह जापान के नव निर्माण एवं विकास को नहीं दर्शाता है?
हिरोशिमा को त्रासदी से निकालकर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का मंच बनाने के लिए जापान ने लंबा सफर तय किया है। भारत भी इसी सफर को कश्मीर के जरिए दर्शा रहा है। आज कश्मीर में आतंक नहीं पर्यटन, शिक्षा, जी-20 की बातें हो रही है। वैश्विक ताकतें घाटी में निवेश कर रही हैं। पाकिस्तान या चीन से इसकी स्वीकार्यता की आवश्यकता नहीं क्योंकि कश्मीर भारत का हिस्सा है। जी-20 पर्यटन बैठक के आयोजन से श्रीनगर की विकास की जो तस्वीर सामने आई है वो कश्मीर के उस नरैटिव का जवाब है जो उसे हमेशा आतंक का बेस बनाकर रखना चाहता है।