The Forum of Democratic leaders in the asia-pacific नाम से एक संगठन है। इसे शॉर्ट में FDL-AP बोलते हैं। इस संगठन का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को ‘स्वतंत्र राष्ट्र’ के तौर पर स्थापित करना है। ये संगठन आज भी जम्मू और कश्मीर को ‘स्वतंत्र राष्ट्र’ के तौर पर देखता है।
FDL-AP को भारत विरोधी George Soros से फंडिंग होती है। यह जानकारी FDL-AP ने अपनी वेबसाइट पर दी है। जॉर्ज सोरोस से फंडिंग पाने वाला एक संगठन देश के मुकुट जम्मू और कश्मीर को अलग राष्ट्र मानता है। उसे स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहता है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
सोरोस देश के टुकड़े-टुकड़े करना चाहता है। पीएम मोदी उसके रास्ते में आ रहे हैं इसलिए उनके विरुद्ध, देश के विरुद्ध लगातार षड्यंत्र किए जा रहे हैं।
इससे संबंधित तमाम ख़बरें आपने मीडिया में, सोशल मीडिया में देखी होगी। लेकिन अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं वो ज़रूर चिंता की बात है।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि Sonia Gandhi जम्मू और कश्मीर को अलग राष्ट्र मानने वाले और बनाने के लिए प्रयास करने वाले FDL-AP संगठन की को-प्रेसिडेंट यानी सह-अध्यक्ष हैं। यह जानकारी संगठन ने अपनी वेबसाइट पर भी दी है।
मामला बहुत सरल है। FDL-AP संगठन जम्मू और कश्मीर को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है और बनाना चाहता है। इस संगठन को जॉर्ज सोरोस का संगठन फंडिंग करता है और इसकी को-प्रेसिडेंट सोनिया गांधी हैं।
Sonia Gandhi को यहाँ पर सिर्फ राजीव गांधी फाउंडेशन का चेयरपर्सन बताया गया है। मजे की बात ये है कि सोनिया गांधी के राजीव गांधी फाउंडेशन को भी George Soros के ओपन सोसाएटी फाउंडेशन से फंडिंग मिलती रही है।
सिर्फ इतना ही नहीं सोरोस के ओपन सोसाएटी फाउंडेशन के वाइस प्रेसिडेंट शलिल शेट्टी राहुल गांधी के बहुत करीबी हैं। शेट्टी राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल हुए थे।
अब आप समझिए, अमेरिका में बैठा अरबपति उद्योगपति जॉर्ज सोरोस देश को बर्बाद करना चाहता है। जम्मू और कश्मीर को देश से तोड़ना चाहता है। उसे स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहता है। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने एक संगठन बनाया है और उस संगठन की को-प्रेसिडेंट सोनिया गांधी हैं।
ऐसे में कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। सवाल है कि क्या Sonia Gandhi भी जम्मू और कश्मीर को अलग राष्ट्र मानती हैं? क्या सोनिया गांधी भी जम्मू और कश्मीर को अलग राष्ट्र बनाना चाहती हैं?
सोनिया गांधी आज भी कांग्रेस से राज्यसभा में सांसद हैं। आज भी कांग्रेस और इंडी गठबंधन के ज्यादातर निर्णय सोनिया गांधी लेती हैं, तो क्या कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन के दल भी जम्मू और कश्मीर को अलग राष्ट्र मानते हैं?
अगर सोनिया गांधी जम्मू और कश्मीर को अलग राष्ट्र बनाने की पक्षधर नहीं हैं तो फिर वे उस संगठन की को-प्रेसिडेंट क्यों हैं जिसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को भारत से अलग करना है?
अगर सोनिया गांधी जम्मू और कश्मीर को देश का हिस्सा मानती हैं, फिर क्यों वे वर्षों से देश विरोधी FDL-AP संगठन के लिए काम कर रही हैं?
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याद रखिए, सोनिया गांधी ने दस साल देश को चलाया है। NAC बनाकर दस साल देश की सरकार के ऊपर बैठी रही हैं। दस साल तक देश के सभी छोटे-बड़े निर्णय सोनिया गांधी ने किए हैं।
दस साल तक देश की सुरक्षा को लेकर, जम्मू और कश्मीर को लेकर उन्होंने निर्णय किए हैं। इसलिए यह सवाल और गंभीर हो जाता है कि सोनिया गांधी आखिरकार इस संगठन में हैं क्यों?
एक बात और याद रखिए, 2004 में जब NDA की सरकार गिरी और UPA की सरकार आई। मनमोहन सिंह को मुखौटा प्रधानमंत्री बनाया गया और National Advisory Council बनाकर सोनिया गांधी ने देश को चलाना शुरू किया तब अक्सर ट्रैक 2 डिप्लोमेसी की ख़बरें आती थी।
कहा जाता था कि भारत और पाकिस्तान के बीच में ट्रैक 2 डिप्लोमेसी चल रही है। वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि ट्रैक 2 डिप्लोमेसी के तहत भारत और पाकिस्तान जम्मू और कश्मीर को लेकर बात कर रहे थे।
वे बताते हैं कि उस समय भारत और पाकिस्तान. जम्मू और कश्मीर को लेकर एक समझौते पर पहुँच भी गए थे लेकिन कुछ देशभक्त अधिकारियों ने मामले में टांग अड़ा दी।
जानते हैं समझौता क्या हो रहा था? वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि स्विट्जरलैंड की तर्ज पर जम्मू और कश्मीर को कथित स्वतंत्रता देने की चर्चा उस समय हो रही थी।
यह समझौता अमेरिका की एक पत्रकार कैथी अरलिन सोकोल के उस कथित सॉल्यूशन के अनुसार हो रहा था जो उन्होंने UN Hague Appeal for Peace Conference 1999 में प्रस्तुत किया था।
याद रखिए जब पेपर पेश किया गया तब यानी 1999 में सोनिया गांधी नेता विपक्ष थी और पत्रकारों के अनुसार जब इसको अमली जामा पहनाने का प्रयास किया गया तब सोनिया गांधी ही रिमोट से देश चला रही थी।
उस समय ट्रैक 2 डिप्लोमेसी इतनी तेजी से चल रही थी कि कश्मीर के आतंकवादी यासीन मलिक की पहुँच PMO तक थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ यासीन मलिक की यह तस्वीर आपने ज़रूर देखी होगी।
ऐसे में कई बड़े और गंभीर सवाल खड़े होते हैं। पहला सवाल कि Sonia Gandhi क्या जम्मू और कश्मीर को देश से अलग करने के पक्ष में हैं? अगर नहीं तो वे FDL-AP संगठन की को-प्रेसिडेंट क्यों हैं?
दूसरा सवाल ये है कि देश विरोधी George Soros के संगठन से राजीव गांधी फाउडेंशन को फंडिंग क्यों होती है?
तीसरा सवाल ये है कि क्या UPA की सरकार के समय पाकिस्तान के साथ ट्रैक 2 डिप्लोमेसी के तहत सोनिया गांधी जम्मू और कश्मीर को लेकर कोई चर्चा करवा रही थी?
यह सभी सवाल बहुत गंभीर हैं। गंभीर इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड आतंकियों के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर वाला रहा है। याद कीजिए कैसे दिग्विजय सिंह ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहते थे।
कैसे पी. चिदंबरम ने कहा था कि संसद हमले में अफजल गुरू की भूमिका पर संदेह है।
ऐसी तमाम घटनाएं हैं जो दिखाती हैं कि सोनिया गांधी के कांग्रेस पार्टी पर कब्जे के बाद कांग्रेस आतंकियों के प्रति सॉफ्ट हो गई। ऐसे में निश्चित तौर पर सोनिया गांधी को देश के इन सवालों के जवाब देने चाहिए।