भले ही आज कई देशों में उपनिवेशवाद का अंत हो गया है और लोकतंत्र आ गया है, लेकिन नस्ली श्रेष्ठता का दंभ आज भी गोरों के दिल और मन में है। अभी भी वे ‘ह्वाइट मेैन्स बर्डेन सिंड्रोम’ से ग्रस्त हैं, यानी उनको यही लगता है कि बाकी सभी को सभ्य बनाने का काम उनका है।
ऑस्ट्रेलिया के स्काई न्यूज चैनल में एक डिबेट के दौरान कुछ ऐसी बातें बोली गईं जिससे पूर्व ब्रिटिश शासित देशों के नागरिक भड़क उठे हैं। डिबेट के दौरान मौजूद पैनलिस्टों ने यह बयान दिया कि ब्रिटिश साम्राज्य के अंत से ब्रिटिश शासित देशों को इतना ज्यादा नुकसान हुआ जितना ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान भी नहीं हुआ था।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद का अंत बुरा था?
Sky News Australia के होस्ट रोवन डीन और जेम्स मोरो ने दावा किया कि दुनिया भर के कई देश ब्रिटिश उपनिवेशवाद में बेहतर होंगे।
डेली टेलिग्राफ के फेडरल राजनीतिक संपादक जेम्स मोरो ने शुरुआत करते हुए कहा, “यदि आप ऐतिहासिक रिकॉर्ड के बारे में बात करें, तो दुनिया भर के इतने सारे देशों के लिए डीकोलोनाइजेशन एक बड़ी आपदा थी (उपनिवेशवाद की तुलना में)।”
उन्होंने आगे यह बताया कि कैसे ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अंत से कहीं ज्यादा खून-खराबा व मार-काट हुई।
साथी होस्ट रोवन डीन भी हामी भरते हुए कहते हैं, “मुझे बहुत गुस्सा आता है जब हम लोगों को यह बताते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य बुरा था।”
एक कदम आगे बढ़ते हुए रोवन डीन ने तो यह भी दरख्वास्त कर डाली कि ब्रिटिश साम्राज्य को वापस लाना चाहिए। वे कहते हैं: “मैं तैयार हूँ, ब्रिटिश साम्राज्य को वापस लाने के लिए एक नया आंदोलन करते हैं।”
इसके बाद उन्होंने कुछ देश जैसे जिम्बाब्वे का हवाला देते हुए यह भी कहा कि ब्रिटिश राज से आजादी के बाद कई देशों में हालात खराब हुए हैं।
शो के दोनों होस्ट यह बताने में सफल रहे की कैसे ब्रिटिश शासित देशों में खराब हालात हैं लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कैसे ब्रिटिश राज के दौरान इन देशों पर कैसे अत्याचार हुए थे।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अत्याचार
16वीं से 19वीं शताब्दी तक ब्रिटेन ने कई देशों पर सालों तक राज्य किया। इन देशों में अविभाजित भारत, ऑस्ट्रेलिया और कई अफ्रीकी देश शामिल थे।
इन देशों में राज करने से ब्रिटिश साम्राज्य की सीमाएं पूरे विश्व तक तक फैलीं जिससे ब्रिटेन आर्थिक और सामरिक तौर पर बहुत मजबूत हुआ। इन देशों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा मानव-अधिकार हनन एवं तमाम आरोप लगाए।
अफ्रीका एक ऐसा उदाहरण है जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद का सबसे बुरा दंश झेला।
किंग चार्ल्स द्वितीय द्वारा जारी 1663 रॉयल चार्टर ने आधिकारिक तौर पर ट्रान्स-अटलांटिक दास व्यापार को मंजूरी दी थी , जिससे लाखों अफ्रीकियों को गुलाम बनाया गया और फसल बागानों पर काम करने के लिए अमेरिका ले जाया गया।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नीतियों ने अफ्रीका में गुलामी लाने और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को खराब करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला भारत, ब्रिटिश उपनिवेशवाद के बाद केवल इंग्लैंड से कपड़े खरीदने वाला एक देश बन गया। ब्रिटिश सरकार की अत्याचारी नीतियों ने भारत को एक कमजोर अर्थव्यवस्था, उच्च बेरोजगारी दर और अथाह गरीबी वाला देश बना दिया था।
Sky News Australia के दोनों होस्ट का तर्क यह था कि ब्रिटिश उपनिवेशवाद की गैर-मौजूदगी से कई देश बुरे दौर में हैं। वैसे क्या यह सच नहीं कि ब्रिटिश साम्राज्य के ना होने से ही आज ब्रिटेन की हालत इतनी खराब है कि वहां के नागरिकों को पेट पालने के लिए अब अपने दैनिक खर्चे कम करने पड़ रहें हैं।