कर्तव्य निर्वहन का ऐसा उदाहरण भारतीय परम्परा में ही सम्भव है। स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी जी जीवन के अन्तिम समय में भी अपना आखिरी मत पवित्र लोकतंत्र को दान कर गए।
साल 1952 में, स्वतंत्र भारत का पहला चुनाव हुआ। हालाँकि हिमाचल प्रदेश में ये चुनाव पाँच महीने पहले ही सम्पन्न किया गया क्योंकि वहाँ फरवरी और मार्च के महीने भीषण बर्फ़बारी के चलते रास्ते बंद रहते हैं। इस वजह से उस अवधि के दौरान भारी बर्फ़बारी से हिमाचल के नागरिकों का मतदान केंद्रों तक पहुँचना असंभव हो जाता था इसलिए अक्टूबर, 1951 में सबसे पहले हिमाचल में यह चुनाव किया गया।
इस चुनाव में सबसे पहला मतदान रहा हिमाचल के किन्नौर जिले के एक छोटे से गाँव कल्पा में रहने वाले श्याम सरन नेगी का, स्वतंत्र भारत के प्रथम मतदाता और सबसे पुराने मतदाता। उस समय नेगी मतदान दल के सदस्य भी थे और मतदान करने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। उन्होंने 1951 के बाद से हर आम चुनाव में मतदान किया है।
इस साल भी श्याम सरन नेगी ने 2 नवंबर, 2022 को किन्नौर विधानसभा की सीट के लिए पोस्टल बैलेट के माध्यम से अपना 34वाँ मत डाला। इस बार भी उनको हर साल की तरह मतदान केंद्र जा कर ही मत देना था, लेकिन ख़राब स्वास्थ के चलते उन्होंने घर में ही मत देने का फैसला किया और किन्नौर के डीसी ने व्यक्तिगत रूप से उनके आवास पर ही उनका अभिनंदन किया।
प्रथम मतदाता श्याम सरन नेगी का ये आखिर मत था क्योंकि ख़राब स्वास्थ्य होने की वजह से आज, शनिवार की सुबह 106 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी भी किसी चुनाव को नहीं छोड़ा, हमेशा से ही खुद मतदान केंद्र जा कर अपना ज़रूरी मत दिया है।
अपना आख़िरी मत डालने के बाद उन्होंने युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आगे आने को कहा क्योंकि यह न केवल हमारा अधिकार है, बल्कि हमारा कर्तव्य भी है कि हम अपने मताधिकार का प्रयोग करके चुनाव में भाग लें।
श्याम सरन नेगी किन्नौर जिले के छोटे से गाँव कल्पा के रहने वाले थे। उनका जन्म 1 जुलाई, 1917 में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा 10 वर्ष होने के बाद शुरू की और 9वीं कक्षा तक अपार कष्ट झेलकर पढ़ाई की, लेकिन उम्र ज्यादा होने की वजह से उन्हें 10वीं कक्षा में दाखिला नहीं मिला, जिसके बाद श्याम सरन वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की और कुछ समय बाद कल्पा लोअर मिडल स्कूल में अध्यापक बने।
यह वही दौर था जब वह देश के पहले मतदाता बने। वह बताया करते थे कि साल 1951 के पहले चुनाव के समय उनकी ड्यूटी अपने पड़ोसी गाँव के स्कूल में थी, जहाँ चुनाव कराया जाना था, लेकिन उनका वोट अपने गाँव कल्पा में था और चुनाव से एक रात पहले ही वह अपने गाँव आ गए और मतदान के दिन सुबह 6 बजे मतदान केंद्र पहुँच गए।
उस समय तक वहाँ कोई नहीं पहुँचा था और क्योंकि उन को 9 किलोमीटर दूर पड़ोस के गाँव मोरंग जाकर वहाँ भी चुनाव करावाना था, इसलिए उन्होंने सबसे पहले अपना मत दिया। इस तरह श्याम सरन नेगी बन गए देश के पहले मतदाता।
वह मतदान के दिन को किसी त्योहार से कम नहीं मानते थे। श्याम सरन हर साल पूरी तरह तैयार हो कर ही अपना मत देने जाते। कोट-पैंट पहने सर पर हिमाचली टोपी और चेहरे पर मत देने की उत्सुकता! पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊ के साथ उनका मतदान केंद्र में भव्य तरह से उनका स्वागत किया जाता, जो किसी त्योहार से कम नहीं।
श्याम सरन नेगी को साल 2010 में, चुनाव आयोग के हीरक जयंती समारोह के अवसर पर तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने मतदान करने के प्रचार अभियान का दूत घोषित किया।
वहीं 2014 में, गूगल इंडिया ने एक वीडियो बनाया #PledgeToVote, जिसमें नेगी ने पहले चुनाव में अपनी भागीदारी के बारे में बताया और साथ ही साथ दर्शकों को मतदान के महत्व के बारे में जागरूक किया। इसके साथ उन्होंने हिंदी सिनेमा की फिल्म ‘सनम रे’ में अपनी विशेष उपस्थिति भी दी।