गत शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुंबई पहुंचे। इसके बाद से ही महाराष्ट्र्र में सियासी हलचल बढ़ गई है।
उद्धव ठाकरे गुट के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मुंबई रोड शो भाजपा समर्थित राजनीतिक खेल है। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री योगी अपने राज्य उत्तर प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुंबई में रोड शो कर रहे थे। ऐसा प्रयास हर सरकार करती है और यह हर मुख्यमंत्री का कर्तव्य भी है। निवेश भला किस अर्थव्यस्था को पसंद नहीं है। सिर्फ़ दो दिन की यात्रा में योगी आदित्यनाथ महाराष्ट्र से पाँच लाख करोड़ का निवेश हासिल करने में सफल रहे हैं।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ की ओर से इस दौरे का विरोध ऐसे समय में सामने आया है जब महाराष्ट्र में BMC चुनावों की सुगबुगाहट शुरु हो गई है। शायद ठाकरे गुट को योगी आदित्यनाथ से इन चुनावों में नुकसान होने की संभावना नज़र आती हो।
हवा-हवाई चुनावी रोड शो का विरोध किया जाना चाहिए लेकिन इस दौरे में योगी आदित्यनाथ सिर्फ रोड शो तक ही सीमित नहीं दिखे। उन्होंने देश के बड़े निवेशकों के साथ कई बैठकें की, जिनमें उत्तर प्रदेश में निवेश का पूरा रोड़ मैप भी सबके सामने रखा।
इस दौरान सीएम योगी कहते हैं कि आज कोई भी गुंडा राज्य में किसी भी व्यापारी या ठेकेदार से पैसे नहीं वसूल सकता। शायद मुंबई में आ कर वसूली के सन्दर्भ में ऐसी टिप्पणी भी ठाकरे गुट के ‘आहत’ होने का कारण हो सकती है।
सीएम योगी ने अखबारों में विज्ञापन क्यों दिए? इसको लेकर भी शिवसेना के मुखपत्र में लिखा गया है। सामना के सम्पादकों को विचार करना चाहिए कि जहाँ आए दिन कई राज्यों के मुख्यमंत्री ‘देश का मुख्यमंत्री’ बनकर अखबारों में विज्ञापन छपवाते हैं ऐसे में आज देश में किसी नेता के पास विरोध का यह नैतिक आधार रह नहीं जाता।
वैसे ‘नैतिकता’ की बात आज देश में बार-बार बॉलीवुड कलाकारों को याद दिलाई जा रही है। इन फ़िल्मी कलाकारों ने भी योगी से मुलाकात कर बॉलीवुड को बॉयकॉट ट्रेंड से बचाने की अपील की है। फ़िल्मी कलाकारों के जरिए ‘बेस्ट मुख्यमंत्री’ का माहौल बनाने वालों के लिए यह शायद एक झटका ही है कि मुंबई के कलाकारों को योगी आदित्यनाथ से ही उम्मीद है।
इसे भी फ़िल्मी कलाकारों का पॉलिटिकल स्टंट करार दिया जाना चाहिए? वह तो उत्तर प्रदेश जाकर भी योगी से मुलाकात करते हैं। याद होना चाहिए कि कोविड महामारी के बीच ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में फ़िल्म सिटी तैयार करने का फ़ैसला सुनाया था।
चार वर्ष पहले उद्धव ठाकरे भी उत्तर प्रदेश गए थे। अयोध्या में सरयू नदी के किनारे उनका महाआरती का कार्यक्रम था लेकिन लखनऊ में कदम रखते ही उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था। महाराष्ट्र में यूपी-बिहार के लोगों के साथ हो रहे अत्याचार को लेकर लोग उन्हें खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। इसके उलट, महाराष्ट्र में योगी आदित्यनाथ का खुलकर स्वागत किया। दूसरे प्रदेश की जनता द्वारा दी जाने वाली ऐसी प्रतिक्रियाएं ही किसी को नेता के तौर पर स्थापित करती हैं।
अब चाहे भाजपा की रणनीति कुछ भी हो लेकिन कहीं न कहीं महाराष्ट्र भाजपा के लिए चुनावों से पहले यह अच्छा संदेश होगा और विपक्षियों के लिए खतरे की घंटी।