पुणे की उस सीक्रेट मीटिंग में क्या हुआ? पवार परिवार क्या फिर से एक हो जाएगा? शरद पवार और अजित पवार क्या साथ-साथ आ रहे हैं? क्या दोनों धड़े मिल जाएंगे? सुप्रिया सुले का क्या होगा? महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय सबसे बड़े सवाल यही हैं। हर कोई जानना चाहता है कि पवार परिवार में आखिरकार चल क्या रहा है? आइए, इस बैठक के मायने समझने का प्रयास करते हैं।
2023 में भतीजे Ajit Pawar, चाचा Sharad Pawar से अलग हो गए थे। वे अपने समर्थक विधायकों को लेकर महायुति के साथ गठबंधन में आ गए। अजित पवार के पार्टी तोड़ने के पीछे वास्तविक कारण शरद पवार का अपनी बेटी के प्रति राजनीतिक मोह बताया जाता है।
दरअसल, शरद पवार अपनी बेटी और NCP नेता सुप्रिया सुले को पार्टी की कमान देना चाहते थे जबकि भतीजे अजित पवार का सोचना था कि पार्टी के वास्तविक उत्तराधिकारी वे हैं। इसलिए उन्हें कमान मिलनी चाहिए। चाचा पवार ने जब उन्हें पार्टी नहीं सौंपी तो वे अपने समर्थकों के साथ अलग हो गए। इससे हुआ ये कि NCP दो धड़ों में बँट गई।
अब दोनों धड़ों के नेता चाहते हैं कि पार्टी दोबारा से एक हो जाए। Ajit Pawar और Sharad Pawar एक साथ आ जाएं। पिछले कुछ समय से जो राजनीतिक घटनाक्रम हो रहा है, वो इसकी अटकलें और बढ़ा देता है कि अंदर ही अंदर कुछ न कुछ तो चल रहा है।
23 जनवरी को पुणे में वसंतदादा सुगर इंस्टीट्यूट की आम बैठक थी। शरद पवार इस इंस्टीट्यूट के चैयरमैन हैं और अजित पवार ट्रस्टी हैं। ट्रस्टी होते हुए भी इससे पहले की कई बैठकों में अजित पवार नहीं आते थे, लेकिन इस बार वे पहुँचे। इस दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सिर्फ बैठक में ही हिस्सा नहीं लिया बल्कि लगभग आधा घंटे तक अकेले बंद कमरे में शरद पवार के साथ बैठक भी की।
NCP से अलग होने के बाद पहली बार Ajit Pawar और Sharad Pawar की इस तरह से अकेले में क्लोज़ डोर मीटिंग हुई है। इस बैठक के बाद ये अटकलें और तेज हो गईं कि पार्टी में अंदर खाने कुछ तो चल रहा है।
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इन अटकलों को बल कर्जत-जामखेड के विधायक और शरद पवार के पोते रोहित पवार ने भी दिया। उन्होंने कहा कि पवार परिवार को एक हो जाना चाहिए। एक बात और याद रखिए, रोहित पवार को शरद पवार का बहुत करीबी माना जाता है।
ऐसे में अगर रोहित पवार अटकलों के बीच कहते हैं कि दोनों को एक साथ आना चाहिए तो समझा जा सकता है कि शरद पवार की भी एक होने को सहमति है।
याद रखिए कि इससे पहले अजीत पवार की मां आशा पवार ने मंदिर नगर पंढरपुर में श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में दर्शन करने के दौरान कहा था कि शरद पवार और अजित पवार के एक होने की उन्होंने कामना की है।
इससे एक बात स्पष्ट है कि शरद पवार के करीबी, अजीत पवार के करीबी और दोनों दलों के नेता चाहते हैं कि दोनों धड़े एक हो जाएं। अब सवाल है कि हर कोई चाहता है एक हो जाएं फिर पेंच कहाँ फँसा है? समझिए, इस मिलन में दो बड़ी अटकलें हैं। पहली कि अगर दोनों धड़े एक हो जाएं तो पार्टी का नेतृत्व कौन संभालेगा और दूसरी कि सुप्रिया सुले का राजनीतिक भविष्य क्या होगा।
विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद एक बात स्पष्ट है कि NCP का जो कोर वोटर था वो अजित पवार के साथ है। चुनाव में अजित पवार धड़े ने शरद पवार के धड़े से कहीं ज्यादा सीटें जीती हैं। ऐसे में अगर दोनों धड़े एक होते हैं तो अजित पवार पार्टी के सर्वमान्य नेता बन सकते हैं। सवाल है कि क्या शरद पवार इसके लिए तैयार होंगे?
देखा जाए तो शरद पवार के पास ज्यादा विकल्प बचते नहीं है। अभी 5 साल तक वे कुछ नहीं कर सकते और उनकी उम्र को देखते हुए 5 साल बाद भी वे पार्टी में कुछ आमूल-चूल बदलाव कर पाएंगे इसकी संभावना कम ही है।
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दूसरी तरफ इंडी गठबंधन भी एक तरह से ख़त्म हो चुका है। ऐसे में शरद पवार के पास सिवाय इसके कोई विकल्प नहीं है कि वे नेतृत्व अजित पवार को सौंप दें।
सवाल है कि क्या शरद पवार ऐसा कर सकते हैं? देखिए, एक बार को शरद पवार ऐसा कर सकते हैं लेकिन फिर सुप्रिया सुले का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? यही बड़ा सवाल है। सुले के राजनीतिक भविष्य के चक्कर में पहले भी पार्टी के दो धड़े हुए थे, ऐसे में क्या अब शरद पवार सुले के राजनीतिक भविष्य के साथ समझौता कर सकते हैं? या फिर सुले को लेकर शरद पवार अजित पवार से कोई समझौता करेंगे?
यह देखने वाली बात होगी लेकिन इतना तय है कि चाचा-भतीजे के बीच में आज भी सुप्रिया सुले एक बड़ा फैक्टर हैं और जब तक सुले को लेकर दोनों नेता किसी एक सहमति पर नहीं पहुँच जाते तब तक दोनों साथ आएंगे, इसकी संभावना कम ही है।