केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देशभर के 97.5 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इनमें सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूल शामिल है।
केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया है कि दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने छात्राओं के लिए अलग शौचालय का 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है।
आंकड़ों की बात करें तो 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए 16 लाख और लड़कियों के लिए 17.5 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कों के लिए 2.5 लाख और लड़कियों के लिए 2.9 लाख शौचालय उपलब्ध कराए गए हैं।
मोदी सरकार ने राज्यवार आंकड़े पेश करते हुए बताया है कि पश्चिम बंगाल में 99.9 प्रतिशत स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। तमिलनाडु में यह आंकड़ा 99.7 प्रतिशत है जबकि केरल और छत्तीसगढ़ में 99.6 प्रतिशत।
सिक्किम, गुजरात और पंजाब की बात करें तो यहां छात्राओं के लिए अलग शौचालय का प्रतिशत 99.5 है। उत्तर प्रदेश में 98.8 प्रतिशत स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। वहीं, कर्नाटक में 98.7 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 98.6 प्रतिशत, बिहार में 98.5 प्रतिशत, राजस्थान में 98 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 97.8 प्रतिशत, और ओडिशा में 96.1 प्रतिशत स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय बने हैं।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में यह भी बताया है कि पूर्वोत्तर राज्य, राष्ट्रीय औसत (98 प्रतिशत) से पीछे हैं। जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में भी यही बात सामने आती है, जहां 89.2 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
जानकारी के लिए बता दें कि देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र को देश भर के सभी सरकारी सहायता प्राप्त और आवासीय विद्यालयों में छात्राओं की संख्या के अनुरूप शौचालय निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल तैयार करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही, केंद्र से राष्ट्रीय स्तर पर छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन वितरित करने के लिए बनाई गई नीति के बारे में भी पूछा गया था।
इस पर केंद्र ने पहले ही कहा था कि वह अदालती आदेशों के अनुसार स्कूली लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन के वितरण पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए सभी आवश्यक सामग्री एकत्र करने की प्रक्रिया में है और सरकार राष्ट्रीय नीति तैयार करने के अंतिम चरण में है।