छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खात्मे के लिए पुलिस द्वारा बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस ने बताया है कि यह अभियान 24 साल में सबसे बड़े अभियानों में से एक में से एक है।
इसी अभियान के तहत शुक्रवार को अबूझमाड़ क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में कम से कम 28 माओवादियों को मार गिराया है। अधिकारियों ने बताया कि माओवादियों की मौजूदगी की विशेष खुफिया सूचना के आधार पर दंतेवाड़ा और नारायणपुर से विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के लगभग 1,000 कर्मियों के अभियान पर निकलने के बाद मुठभेड़ हुई।
एसटीएफ और डीआरजी छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद को लक्षित करने के लिए विशेष बल हैं। ऑपरेशन के बारे में बात करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमें प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पूर्वी बस्तर डिवीजन और उनकी सशस्त्र शाखा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की कंपनी नंबर 6 से 50 से अधिक माओवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी।”
खुफिया इनपुट से संकेत मिलता है कि दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य कमलेश और पीएलजीए कमांडर नंदू जैसे शीर्ष माओवादी इलाके में मौजूद हैं। अलग-अलग पुलिस कैंपों से टीमें ऑपरेशन के लिए रवाना हुईं, जिसके बाद “दंतेवाड़ा मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर, गोवेल, नेंडूर और तुलतुली नामक तीन गांवों के आसपास के जंगल क्षेत्र में माओवादियों से मुठभेड़ हो गई।
यह अभियान माओवादियों के गढ़ में किया गया है और इसलिए ही महत्वपूर्ण भी है। अबूझमाड़ गोवा के आकार के बराबर है और माओवादियों का सुरक्षा क्षेत्र माना जाता है। सुरक्षा बलों का दावा है कि उन्होंने विभिन्न अभियानों में माओवादियों से 50 प्रतिशत या लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को मुक्त करा लिया गया है।
एडीजीपी (नक्सल ऑपरेशन) विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि सुरक्षा बल उस क्षेत्र में गए थे जिसे माओवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता था। उन्होंने कहा, “हमारे बल इंद्रावती नदी को पार कर गए और मुठभेड़ दूसरी तरफ हुई, जहां कोई पुलिस कैंप नहीं है… माओवादी इंद्रावती के उत्तर को सुरक्षित पनाहगाह मानते थे और उनका कोंडागांव, बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों के विशाल क्षेत्र पर प्रभाव था।”
क्षेत्र को देखते हुए ये ऑपरेशन और भी चुनौतीपूर्ण था। एडीजीपी ने बताया कि मानसून के कारण जंगल का इलाका कीचड़ भरा था और उसमें घनी झाड़ियाँ थीं। पहाड़ी इलाका और कम दृश्यता ने काम को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया। साथ ही, सुरक्षा बलों ने जूतों के निशान छोड़े हैं। माओवादी इन कारकों का फायदा उठाकर हम पर हमला कर सकते हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 28 माओवादियों के शव बरामद किए गए हैं और मुठभेड़ स्थल से संभवतः तीन-चार और शव बरामद किए जा सकते हैं। इसके साथ ही घटनास्थल से एलएमजी राइफल, एक एके-47 राइफल, एक एसएलआर, एक इंसास राइफल और एक .303 राइफल समेत हथियार बरामद किए गए।
वहीं, डीआरजी का एक जवान घायल हो गया और उसे सुरक्षित निकाल लिया गया। इस मुठभेड़ के बाद ही मारे गए माओवादियों की संख्या 185 हो गई है, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में सबसे अधिक है। यह संख्या 2019 से 2023 के बीच पांच वर्षों में मारे गए माओवादियों की कुल संख्या के करीब पहुंच रही है, जो 206 है। इस साल माओवादी हिंसा में 15 सुरक्षाकर्मी और 47 नागरिक भी मारे गए हैं।
इससे पहले अप्रैल में एक बड़ी मुठभेड़ हुई थी, जब कांकेर में 29 माओवादी मारे गए थे। पुलिस की कार्रवाई की प्रशंसा करते हुएछत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कहा कि हमारे बहादुर जवानों की यह बड़ी उपलब्धि सराहनीय है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और गृह मंत्रियों की बैठक 7 अक्टूबर को नई दिल्ली में होने वाली है। अगस्त में रायपुर में बोलते हुए शाह ने घोषणा की थी कि माओवादियों के साथ आखिरी लड़ाई करीब है और यह “निर्मम” होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि मार्च 2026 तक देश वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो जाएगा।
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