उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित हुआ SCO शिखर सम्मेलन भारत के लिए ऐतिहासिक रहा है। शिखर सम्मेलन के मुख्य केंद्र में व्यापार, इंटर-कनेक्टिविटी, कोविड के बाद विश्व व्यवस्था और हाल ही में चल रहे रूस-युक्रेन के बीच युद्ध के कारण आई चुनौतियां रहीं।
भारत के लिए यह सम्मेलन राजनीतिक और रणनीतिक सहयोगियों के साथ संबंध बढ़ाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, विशेष रूप से मध्य एशियाई देशों के साथ। SCO संगठन में ईरान नए सदस्य के रूप में जुड़ा है, जिसका भारत ने स्वागत किया है। इससे भारत के ईरान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने में मदद मिलेगी और यूरेशियन क्षेत्र में भी नए संपर्क स्थापित होंगे।
SCO शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य एशियाई देशों के बीच आवाजाही पर जोर दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने तंज कसते हुए बिना पाकिस्तान का नाम लिए कहा कि पाक ने हमेशा युद्ध से जूझ रहे अफगान तक भारत की मदद पहुँचने से रोका है।
शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत की।
ईरान
शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी से भी मुलाकात की, रायसी द्वारा 2021 में पद ग्रहण करने के बाद दोनों देशों के प्रमुखों की यह पहली मुलाकात रही। दोनों राष्ट्रों के लोग व्यक्तिगत स्तर पर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सभ्यता साझा करते हैं।
हाल ही में भारत ने ईरान में कई बड़े निर्माण परियोजनाएं चलाई हैं और इसी पर बात करते हुए दोनों देशों ने आपसी संबंध बढ़ाने और शाहिद बहिश्ती टर्मिनल, चाबहार पोर्ट के विकास पर भी साथ काम करने पर बातचीत हुई।
बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा हुई, जिसमें भारत ने युद्धग्रस्त देश में समावेशी और स्थिर सरकार और शांतिपूर्ण और सुरक्षित अफगान के लिए एक प्रतिनिधि के साथ ही मानवीय सहायता की बात को दोहराया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति रायसी ने JCPOA प्रोजेक्ट पर हुए काम की भी जानकारी दी।
उज्बेकिस्तान है खास
शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव से मुलाकात की। दोनों देशों के लिए यह साल इस लिहाज से भी खास है कि भारत और उज्बेकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों को स्थापित हुए 30 साल हो गए हैं।
दोनों देशों के प्रमुखों ने अपनी-अपनी प्राथमिकताओं पर बात करते हुए द्विपक्षीय संबंधों, जिसमें व्यापार और आर्थिक सहयोग पर जोर दिया। दोनों ने व्यापारिक संबंधों में विविधिता लाने के साथ-साथ व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने और लंबे समय तक इन संबंधों को स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर भी दिया।
इस क्षेत्र में संपर्क बढ़ाना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से चाबहार बंदरगाह और उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे के अधिक उपयोग में यह सहायक साबित होगा। बातचीत के दौरान दोनों देश अफगानिस्तान का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए किए जाने के विरोध में नजर आए।
तुर्की से भी चल रही है बातचीत
कश्मीर की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखकर एक बार फिर तुर्की से द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने को लेकर पीएम मोदी और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान के बीच मुलाकात हुई। यह मुलाकात सभी के लिए चौंकाने वाली रही, क्योंकि भारत द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A के उन्मूलन के बाद तुर्की ने खुलकर इस्लामाबाद का समर्थन किया था।
दोनों प्रमुखों ने आपसी और वैश्विक विकास को लेकर अपने विचार साझा किए। साथ ही दोनों देशों के क्षेत्रों की भलाई के लिए द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने पर सहमति जताई।
रूस को दी नसीहत
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पीएम मोदी ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा, उर्जा सुरक्षा और युक्रेन से युद्ध के बाद आए उर्वरकों की उपलब्धा की चुनौतियों के मुद्दों को उठाया। पीएम ने रूस से यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध की शत्रुता को समाप्त कर कूटनीतिक संबंधों के विकास पर फिर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति को साफ शब्दों में यह बताया कि अभी युद्ध का समय नहीं है।
भारत और SCO सदस्यों के बीच सांस्कृतिक संबंध
भारत और SCO देशों के बीच पर्यटन, सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए वाराणासी शहर को 2022-2023 के समयावधि में पहली बार SCO पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया है। SCO के देश, विशेष रूप से मध्य एशियाई देशों के साथ भारत की प्राचीन सभ्यता के प्रभाव की ओर भी इंगित करता है।
पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के नामांकन का नियम 2021 में दुशांबे SCO शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाया गया था, ताकि सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिले।