नई दिल्ली में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए कड़ा सन्देश दिया। SCO में सदस्य देशों की बैठक में रक्षा मंत्री ने कहा कि जो राष्ट्र आतंकियों को शरण देते हैं वह मात्र अपने लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि युवाओं का आतंकवाद के रास्ते पर धकेलना मात्र सुरक्षा की दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक-आर्थिक प्रगति में भी बाधक है। 28 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित की गई बैठक में पाकिस्तान के अतिरिक्त अन्य सभी देशों के रक्षा मंत्री मौजूद थे। पाकिस्तान ने इस बैठक में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री ने की।
रक्षा मंत्री ने इससे एक दिन पहले चीन के रक्षा मंत्री के साथ भी द्विपक्षीय वार्ताओं में हिस्सा लिया था, रक्षा मंत्री ने चीन द्वारा सीमा उल्लंघन को इंगित करते हुए कहा था कि चीन द्वारा लगातार सीमाओं के उल्लंघन से उसने पुराने सभी समझौतों की मान्यता शून्य कर दी है। रक्षा मंत्री ने इसके अतिरिक्त अपने कजाख, ताजिक और ईरानी समकक्ष के साथ भी मुलाक़ात की।
बैठक में चीन और रूस के भी रक्षा मंत्री भी शामिल हुए। रक्षा मंत्री ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन के सभी सदस्यों को सभी प्रकार के आतंक को खत्म करने पर साथ मिलकर काम करना होगा और उनकी जिम्मेदारी तय करनी होगी जो ऐसी गतिविधियों में सहायता करते हैं।
रक्षा मंत्रियों की इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के प्रतिनिधि ने भाग लिया जबकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने 4-5 मई को गोवा में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक में आने का ऐलान किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि हम शंघाई सहयोग संगठन को अधिक प्रभावी बनाना चाते हैं तो हमें आतंकवाद को खत्म करना अपनी पहली प्राथमिकता के तौर पर रखना होगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सदैव से ही अन्य देशों के सहयोग की भावना के साथ काम करता आया है।
दक्षिण एशिया के देशों के अतिरिक्त चीन और मध्य एशियाई देशों के रक्षा मंत्री भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक के बाद रूस और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच बातचीत भी हुई है, एक साल से ज्यादा समय से चले आ रहे यूक्रेन-रूस संघर्ष के आलोक में यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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