अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन को एक साल से अधिक हो गया है। तालिबान शासन में लड़कियाँ खुद को छला हुआ महसूस करने लगी हैं। इसकी वजह यह है कि तालिबान शासन हर बार स्कूल खोलने को लेकर नई और अजीबोगरीब दलीलें देता रहता है। कुछ समय पहले तालिबान शासन ने कहा था कि लड़कियों के लिए यूनिफॉर्म अभी तय नहीं हुई है, इसलिए स्कूल नहीं खोले जा रहे हैं।
अफ़ग़ानिस्तान में कक्षा 6 से ऊपर की लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं है। इन स्कूली लड़कियों की पढ़ाई को बन्द हुए एक साल बीत गया है। एक साल तक घर बैठने के बाद अब दर्जनों स्कूली लड़कियाँ सिलाई और बुनाई का काम सीख रही हैं।
अफ़ग़ानिस्तान समाचार पोर्टल टोलो न्यूज के अनुसार, लड़कियों के स्कूल बन्द होने के कारण इनकी पढ़ाई पूरी तरह बन्द हो गई है। पढ़ाई बन्द होने के कारण और घर में ही रहने की वजह से लड़कियाँ अवसाद (Depression) का शिकार हो रही हैं। ऐसे में इस अवसाद से लड़ने और इससे बाहर निकलने के लिए स्कूली छात्राएँ अब सिलाई और बुनाई की कक्षाओं में जाने को मजबूर हो गई हैं।
सिलाई सीखने जाने वाली एक लड़की मेतेरा का कहना है, “हमारे स्कूल बन्द हुए एक साल हो गया है। मेरा सपना डॉक्टर बनने का है, लेकिन अब मैं निराश हो गई हूँ। अब मैं एक दर्जी का काम सिखाने वाली बनने के लिए सिलाई सीख रही हूँ।”
इन लड़कियों को सिलाई और बुनाई सिखाने का काम मुरसल नामक एक लड़की कर रहीं हैं। मुरसल भी स्कूली छात्रा हैं। इन्हें भी स्कूल जाने की अनुमति नहीं है। मुरसल ने स्कूल बन्द होने के कारण सिलाई और बुनाई का काम सीख लिया था। फिलहाल जब तक स्कूल नहीं खुलते हैं, मुरसल भी यही काम करने को मजबूर हैं।
मुरसल का कहना है कि “स्कूलों के बन्द होने से लड़कियों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इन बुरे प्रभावों से बचने के लिए मैंने इन छात्राओं के लिए एक सिलाई प्रशिक्षण कक्षा बनाई है।”
किसी भी समाज की प्रगति में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर, सिलाई सीखने वाली एक छात्रा सज्याह कहती हैं, “महिलाओं के सहयोग के बिना समाज प्रगति नहीं कर सकता है। हम तालिबान सरकार से अपने स्कूलों को फिर से खोलने की गुहार लगा रहे हैं, ताकि हम स्कूल जाकर सीख सकें।”
तालिबान में स्कूल बन्द के खिलाफ रोष
तालिबान शासन द्वारा कक्षा 6 से ऊपर की लड़कियों के स्कूल बन्द को लेकर देश और विदेश दोनों जगहों पर कड़ी निंदा हो रही है। हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के पक्तिया प्रान्त में 5 स्कूलों को बन्द करने के विरोध में दर्जनों लड़कियाँ सड़क पर विरोध प्रदर्शन करती नजर आईं थी।
लड़कियों के स्कूल बन्द की पहली वर्षगाँठ
अफ़ग़ानिस्तान में वर्ष 2021 में 18 सितम्बर को लड़कों के लिये हाई स्कूल (कक्षा 7 से 12) फिर से खोल दिये गए थे। वहीं, तालिबान शासन ने 12 से 18 साल की लड़कियों को घर पर ही रहने का आदेश भी जारी कर दिया था। इससे कक्षा 7 से 12 तक की छात्राएँ बुरी तरह प्रभावित हुईं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, बीते एक वर्ष में स्कूल बन्द होने के कारण तकरीबन 10 लाख से अधिक लड़कियों की हाई स्कूल स्तर की पढ़ाई-लिखाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।
UN ने की तालिबान की निंदा
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) के कार्यवाहक प्रमुख मार्कस पोटजेल ने लड़कियों के स्कूल बन्द को एक साल पूरा होने और स्कूल की माँग को बार-बार टालते रहने पर कहा, “तालिबान शासन का एक साल बेहद दुखद और शर्मनाक रहा है।”
मार्कस पोटलेज का कहना है कि हाई स्कूल की कक्षाओं से लड़कियों को बाहर रखने का कोई भी औचित्य नहीं बनता है। दुनिया में इस तरह की मिसाल कहीं भी नज़र नहीं आती है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भी तालिबान शासन द्वारा लड़कियों के स्कूल बन्द की पहली वर्षगाँठ पर 18 सितम्बर, 2022 को अपने एक ट्वीट में कहा, “रविवार को अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों के हाई स्कूल में जाने पर प्रतिबन्ध को एक साल हो गया है। खोए हुए ज्ञान और अवसर का एक वर्ष जो उन्हें कभी वापस नहीं मिलेगा।”
अफ़ग़ानिस्तान में जो परिवार अपना देश छोड़ने में सक्षम थे। उन परिवारों की लड़कियों की स्कूली शिक्षा अब विदेशों में जारी है। जो अफ़ग़ानिस्तान में रह गए, उनकी लड़कियाँ सिलाई मशीन चलाने पर मजबूर हैं। स्कूल बन्द होने के कारण पढ़ाई तो ठप हो ही गई है। साथ ही, लड़कियों के बाल विवाह का खतरा भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।