“भांजे कितनी बार बताया था, कुँआरी कन्या के साए से भी दूर रहना। सुन, अगर राजा बनना चाहता है तो, उसे ये मत बताना कि गलती लड़की की थी।”
ये महज एक डायलॉग नहीं है बल्कि एक भाव है, जो आपको डायलॉग बोलने वाले इस पात्र के करीब लेकर जाता है। 90 के दशक के बच्चे उस पात्र और इस संवाद से पूरी तरीके से अवगत हैं। जब अक्षय कुमार (भांजे) को सतीश कौशिक द्वारा ये संवाद सुनाया जाता है तो बस फिर क्या सिर्फ हंसी की गूंज ही सुनाई पड़ती है।
सतीश कौशिक फिल्म जगत का वो नाम है जो अपने किरदार ‘कैलेंडर’ और ‘पप्पू पेजर’ या फिर ‘मामाजी’ के कारण चर्चा में रहे हैं। ये उनके द्वारा निभाए जाने वाले ऐसे किरदार हैं जो हमेशा जीवित रहेंगे। इन किरदारों का अंत नहीं हो सकता। इन्हीं किरदारों के माध्यम से सतीश हमारे बीच हमेशा रहेंगे।
आज हमारे साथ कैलेंडर भैया उर्फ़ सतीश कौशिक नहीं है। दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया। बुधवार को 67 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनकी मृत्यु की जानकारी उनके प्रिय मित्र अनुपम खेर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से लोगों और उनके फैंस को दिया।
राजनीतिक चुनाव प्रचार से कहाँ खो गए बॉलीवुड के ‘किंग मेकर’
आँखों में एक कलाकार बनने का सपना और हाथों में मात्र 800 रुपये लेकर कौशिक मुंबई आए थे। और इसी सपने को उन्होंने हकीकत में जिया। अपने किरदारों से उन्होंने न सिर्फ नाम कमाया है, बल्कि हिंदी सिनेमा के दर्शकों के दिल में जगह बनाई।
सतीश कौशिक केवल एक एक्टर नहीं थे। वे अपनी जिंदगी के कई रंगों में दिखे। कभी सफल डायरेक्टर, स्क्रीन राइटर, प्रोडूसर तो कभी वो सफल कॉमेडियन के रूप में नजर आए। हिंदी फिल्म जगत में उन्होंने अपनी हंसी-ठिठोली वाले अंदाज से काफी नाम कमाया है।
उनका बचपन हरियाणा में बीता। वे दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज के पूर्व छात्र के रूप में थिएटर के प्रसिद्ध समूह ‘द प्लेयर्स’ में शामिल हुए, उन्होंने NSD (राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय) और FTII जैसे संस्थानों से शिक्षा लेकर अपने एक्टिंग करियर को उड़ान दी।
90 का दशक, सामने खुला टेलीविज़न और साथ में परिवार के सभी लोग खुल कर हँसते है जब पप्पू पेजर अपने डायलॉग बोलता है।
“पप्पू पेजर: आजा रे आजा लहरा के आजा, जो टपकाने का है, उसको साथ में लाया है क्या?
गोविंदा: नहीं, फोटू लेकर आया हूँ
पप्पू पेजर: अरे यार साथ में लाता तो उसको यहीं सुला डालता ना। पप्पू पेजर के आने जाने का टाइम बच जाता ना।“
कौशिक ने अपने सभी किरदारों को जीवित रखा है मनोरंजन से। उनका कैलेंडर का किरदार शायद ही कोई भूल पाऐगा। मिस्टर इंडिया में उनका किरदार कैलेंडर जो कि उन्होंने स्वयं ही लिखा था, हमेशा जीवित रहेगा। कैलेंडर भैया को हमेशा याद किया जाएगा।
कांतारा: भारतीय सिनेमा की विश्रांति को दूर करती एक असाधारण दैव की कथा
मेरा नाम है कैलेंडर, में चला किचन के अंदर ... कैलेंडर ने मिस्टर इंडिया में एक कुक की भूमिका निभाई थी जो काफी संवेदनशील और मस्तमौला किरदार था। कैलेंडर का किरदार और मिस्टर इंडिया ने उन्हें बॉलीवुड में एक अलग जगह दी थी जो सदैव वो अपने जीवन में याद भी करते थे।
जब अनिल कपूर गुस्से में कैलेंडर को कहते हैं कि “कैलेंडर खाना दो”, तो वो संवाद हमारे बचपन की यादों को वापस लाता है और 90 के दशक के अधिकांश बच्चों के ज़ेहन में उस संवाद की याद तजा हो जाती है। और भी ऐसे कई किरदार उन्होंने निभाए जो आज भी सिनेमा को जीवित रखे हुए हैं। यही तो सिनेमा की खूबसूरती है जो हमें बस एक पात्र से बांधे रखती है।
कौशिक ने अनेक किरदारों से दिल जीता है। मिस्टर इंडिया में कैलेंडर, दीवाना मस्ताना में पप्पू पेजर, बड़े मियां छोटे मियां में शराफत अली, साजन चले ससुराल में मुथु स्वामी, जाने भी दो यारों में अशोक नम्बूदरीपद, मिस्टर एंड मिसेस खिलाडी में चंदा मामा, राम लखन में काशी राम और इसी तरह अनेकों किरदारों में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
सतीश कौशिक ने एक निर्देशक के रूप में भी काफी नाम कमाया। उनकी पहली फिल्म जो निर्देशक के रूप आई थी वो थी श्री देवी के साथ रूप की रानी चोरों का राजा और यहीं से उनके निर्देशन के सफ़र का आगाज हुआ। हम आपके दिल में रहते हैं, मुझे कुछ कहना है, तेरे संग, कागज़, प्रेम, तेरे नाम, गैंग्स ऑफ़ भूत, बधाई हो बधाई, मिलेंगे-मिलेंगे आदि से उन्होंने अपने निर्देशन को नया नाम दिया।
कौशिक की बॉलीवुड की दोस्ती के किस्से काफी हैं। उनके जिगरी दोस्त अनुपम खेर और शेखर कपूर के साथ उनकी दोस्ती के किस्सों ने हिंदी सिनेमा जगत को समृद्ध बनाया।
कौशिक ने ‘मासूम’ के सेट पर शेखर कपूर के सह निर्देशक के रूप बहुत कुछ सीखा। एक किस्सा ऐसा है की जिसमें शेखर बताते हैं कि ‘याद है सतीश, जब तुम मासूम पर असिस्ट कर रहे थे तो तुमने कहा था कि अगर मुझे किसी पर चिल्लाना है तो मैं तुम पर चिल्लाऊं? मैंने पूछा क्यों? क्योंकि एक सहायक के रूप में, लोग मुझे और कैसे नोटिस करेंगे?’ ऐसे ही कई किस्से है जिनसे उन्हें याद किया जाता है।
हाल ही के वर्षो में वेब श्रृंखला के चलन के साथ, कौशिक को आखिरकार वो भूमिका भी मिली है जिसके वो असली हक़दार थे, जैसे हंसल मेहता की ‘स्कैम 1992′, जिसमें उन्होंने मनु मुद्रा की भूमिका निभाई थी जो बेईमानी से पैसा कमाता है। उन्हें आखिरी बार ‘छतरीवाली’ फ़िल्म में देखा गया था।
उनकी आखिरी मूवी कंगना रनौत के निर्देशन में बनी फिल्म “इमरजेंसी” होगी जिसमें वो दिवंगत रक्षामंत्री जगजीवन राम के किरदार में नजर आयेंगे। इस फिल्म में उनके साथ उनके प्रिय मित्र अनुपम खेर, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन, भूमिका चावला भी होंगे। कौशिक को आखिरी बार मुंबई में जावेद अख्तर और उनकी पत्नी शबाना आज़मी द्वारा आयोजित एक होली पार्टी में देखा गया था जो बुधवार (March 08, 2023) को आयोजित की गई थी।
आज हमारे साथ हमारे कैलेंडर भैया उर्फ़ सतीश कौशिक नहीं हैं पर उनकी यादें एक कलाकार के तौर पे हमेशा रहेंगी। उनके आकस्मिक निधन के बाद पूरा फिल्म जगत सदमे में है। फिल्मो में उन्हें उनके हंसमुख और हँसाने वाले किरदारो के लिए सदैव याद किया जाएगा।