आज बैंगलोर में देश बचाने की बैठक चल रही है। देश किस से बचाना है यह बैठक में तय किया जाएगा क्योंकि पहले जिनसे देश बचाना था वह लोग बैठक का हिस्सा बन चुके हैं। हो सकता है कि इससे उन लोगों के अनुभव का फायदा मिल पाए। 26 दल पहुंच चुके हैं। ज्यादातर लोग अपने पापा के साथ पहुंचे हैं जो पापा के साथ नहीं आ सकते थे वे मम्मी के साथ पहुंचे हैं। कुछ के मम्मी पापा नहीं आ पाए तो वे चाचा और बुआ के साथ पहुंचे हैं। अक्सर अगर कभी एक मध्यमवर्गीय परिवार भी एकजुट हो जाता है तो वहां भी देश से जुड़े मुद्दों पर चिंताएं व्यक्त की जाती हैं। लेकिन कुछ मुद्दे मिडिल क्लास परिवार से भी मिस हो जाती हैं। वे इन परिवारों के द्वारा सुनी जाती हैं। वे मुद्दे होते हैं पिछड़े समाज के।
इन्हीं दलों ने तो इन्हें वर्गीकृत कर इनके विकास के लिए काम किया है। गांव, गरीब, शोषित, वंचित, पीड़ित, दलित। इसका अर्थ ये है कि एक गाँव में रहने वाला एक गरीब दलित व्यक्ति शोषित पीड़ित वंचित एक साथ नहीं हो सकता है। अलग-अलग दल अपने अनुसार उस पर सोशल इंजीनियरिंग कर सकते हैं। व्यक्ति का हाथ अगर पीड़ित हुआ तो हाथ हुआ सोशलिस्ट पीड़ित दल का, पैर शोषित तो पैर आया शोषित यूनाइटेड दल के हिस्से लेकिन आत्मा पर कोई अधिकार न जताये?
इन्हीं गांव, गरीब, शोषित, वंचित, पीड़ित, दलितों के हितैषी आज बैंगलोर में एकजुट हुए। गरीबों के विकास के लिए समय निकले इसलिए टाइम बचाने के लिए प्राइवेट जेट से ही पहुंचे। शरद पवार पर किसी ने सवाल भी उठाये कि वे अम्बानी के जेट से पहुंचे हैं। पता चला कि अनिल अम्बानी का जेट था ऐसे में पवार ने माना कि वे अम्बानियों में भी गरीब अम्बानी का जेट लेकर आये हैं।
अब बैठक शुरू हुई, फटाफट सभी ने सीटें ग्रहण की। नीतीश अपने साथ कुर्सी लेकर आये थे तो उन्हें अधिक दिक्कत नहीं हुई। कौन उपस्थित है कौन नहीं यह जानने के लिए अरविन्द केजरीवाल का इंतजार किया गया। क्योंकि भ्रष्टाचारियों वाली लम्बी लिस्ट उनके पास ही थी। लिस्ट में शामिल सभी लोग पहुंच चुके थे। बस स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के बदले उनके बेटे अखिलेश मौजूद थे और लालू के बेटे तेजस्वी का नाम उस लिस्ट में नया जोड़ना पड़ा। सोनिया-राहुल भी खुश थे कि लालू भी उन्हें समर्थन देने पहुंचे हैं। अब बेल पर छूटे अपराधियों में वे अलग-थलग नहीं पड़ेंगे।
मोदी को हराने की हुंकार भरी गयी। पहले खड़गे बोले, फिर लालू बोले, उद्धव को बोलने नहीं दिया गया और पवार क्या बोले कोई समझ नहीं पाया। फिर भी सबने मोदी को हराने की शपथ भरी। दीदी बोली कि मैं मोदी को हराने के लिए कुछ भी करेगा। यह सुनकर तो एक बार सभी दशहत में आ गये। फिर सबने अधीर रंजन चौधरी को याद कर थोड़ा दीदी के डर सहने की प्रेरणा ली।
सभी भविष्य के 26 प्रधानमंत्रियों ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा। अब्दुल्ला एवं मुफ़्ती परिवार को भी इंडिया में शामिल करने से पहले भरोसे में लिया गया।
आखिरी में डिनर का वक़्त हुआ तो नियम तय हुआ कि जिसको जितनी सीटें बांटी गयी हैं उसके हिस्से में उतना खाना ही खाना आएगा।
तमिलनाडु-केरल के सभी छोटे दल स्टालिन को खाना खाते देखते रह गए। वहीं बंगाल से ममता बनर्जी तो उत्तरप्रदेश से अखिलेश की थाली भरी हुई नज़र आई।बिहार से नीतीश और लालू लाइन में आगे खड़े दिखे, ऐसे में स्थिति ये आई कि कांग्रेस बस सलाद खाते ही नज़र आई बस कोई पकवान हाथ ना लगे। कांग्रेस को मायूस होते देख लालू ने राहुल गाँधी को फिर दूल्हा घोषित कर दिया। तेजस्वी यादव तो बारात में चलने के लिए तैयार हो कर ही आये थे। बारात का नाम सुनकर डीके शिवकुमार और भगवंत मान सबसे अधिक प्रसन्न दिखे। लेकिन तभी जयंत चौधरी आवाज लगाते हैं कि अरे घोड़ी को कोई भगा ले गया।