पाकिस्तान के पत्रकार वजाहत एस खान ने आगामी दिनों में पाकिस्तान की राजधानी में होने वाली एक थिंक टैंक की कॉन्फ्रेंस पर बड़ा खुलासा किया है। वजाहत ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बताया है कि जून 15, 2023 को ‘पाकिस्तान इंस्टिट्यूट फॉर कनफ्लिक्ट एंड सिक्यूरिटी स्टडीज’ (PICSS) नाम के एक थिंक टैंक द्वारा आयोजित की जा रही बातचीत का संचालन करने वाला अब्दुल्लाह खान जमात उद दावा और लश्कर ए तैयबा से जुड़ा एक आतंकी है जिस पर अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। वह जिन संगठनों से जुड़ा रहा है वह पाकिस्तान में भी प्रतिबंधित हैं।
वजाहत के अनुसार, 15 जून को आयोजित किए जाने वाले एक वेबिनार ‘पाक-यूएस रिलेशंस: प्रैग्मैटिज्म वर्सेस आइडियलिज्म’ जिसमें अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान, श्रीलंका में पाकिस्तान के राजदूत रहे साद खट्टक, पाकिस्तान में कानून मंत्री रहे अह्मेर बिलाल सूफी, अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ माइकल क्युगल्मेन और डॉ मार्विन जी वेनबाम जैसे लोग शामिल हो रहे हैं उसका संचालन अब्दुल्लाह खान कर रहा है।
वजाहत के अनुसार, इस पूर वेबिनार का संचालन करने वाला 48 वर्षीय अब्दुल्लाह खान जिसका नाम पहले अब्दुल्लाह मुन्तजिर था, प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से सम्बन्ध रखता है। अब्दुल्लाह को जम्मू-कश्मीर में लगातार हमले कराने वाले लश्कर ए तैयबा से सम्बन्ध रखने के कारण अमेरिका ने प्रतिबंधित किया था। अब्दुल्लाह, लश्कर के मीडिया विभाग को वर्ष 1999 से देखता आया है, वह इसके जिहाद फैलाने के मंसूबे का मुखिया रहा है।
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वर्ष 2005 से 2009 के बीच अब्दुल्लाह लश्कर का प्रवक्ता भी रहा है। वह लश्कर की प्रोपगैंडा पत्रिका ‘गजवा’ का संपादक भी था। वह लश्कर के लिए फंड भी इकट्ठा करता था। इसके लिए उसने मीडिया का काफी उपयोग किया और उसने लश्कर को मदद देने के लिए 10 कारण भी बताए थे। उसके हाफिज सईद के ही एक अन्य संगठन जमात उद दावा से भी गहरे संबध थे, जिसे उसने खुद स्वीकारा है।
इस पूरे वेबिनार का आयोजन कराने वाले संस्थान PICSS का वह एमडी है। वेबिनार में हिस्सा लेने वालों में से अधिकाँश उसके पूर्व के कामों के बारे में जानकारी नहीं रखते। हालांकि, अमेरिका में पाकिस्तान के वर्तमान राजदूत मसूद खान के अब्दुल्लाह से पुराने सम्बन्ध रहे हैं।
मसूद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कठपुतली राष्ट्रपति रहे हैं। इसके बाद उन्हें अमेरिका राजदूत बना कर भेजा गया था। इससे पहले अपने कार्यकाल के दौरान मसूद ने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के राष्ट्रपति भवन में अब्दुल्लाह के कार्यक्रम आयोजित किए थे। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य ‘पाकिस्तानियत’ की विचारधारा का प्रचार करना और कश्मीर पर प्रोपगैंडा फैलाना था।
वहीं, अब्दुल्लाह ने इस मामले में वजाहत को जवाब देते हुए कहा है कि ‘हाँ मैं 2009 तक जमात उद दावा के लिए काम करता था और अमेरिका द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती देने के लिए मेरे पास संसाधन नहीं हैं’।
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि आतंकवादियों से सम्बन्ध रखने वाला यह अब्दुलाह खान स्वयं को एक काउंटर टेरेरिज्म एक्सपर्ट बताता है। अब्दुल्लाह का दावा है कि वह पाकिस्तान के युवाओं को पाकिस्तानियत सिखाना चाहता है जबकि वह स्वयं ही आंतकवादियों के लिए फंड जुटाता रहा है।
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