तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी के मामले पर मद्रास उच्च न्यायालय का बयान सामने आया है। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (सितम्बर 15, 2023) को कहा कि सनातन धर्म हिंदू जीवन शैली का पालन करने वालों को दिए गए शाश्वत कर्तव्यों का एक समूह है, जिसमें राष्ट्र, माता-पिता और शिक्षकों, गरीबों के प्रति कर्तव्य भी शामिल हैं और आश्चर्य है कि ऐसा धर्म क्यों नष्ट किया जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के तहत सूचीबद्ध कर्तव्यों का किसी एक विशिष्ट साहित्य से पता नहीं लगाया जा सकता क्योंकि वे हिंदू धर्म से संबंधित कई स्रोतों से एकत्र किए गए थे।
सनातन धर्म के विनाश के पक्ष में तर्क देने वालों से कई सवाल पूछते हुए न्यायाधीश ने पूछा, “क्या एक नागरिक को अपने देश से प्यार नहीं करना चाहिए? क्या उसका अपने राष्ट्र की सेवा करना कर्तव्य नहीं है? क्या माता-पिता की देखभाल नहीं की जानी चाहिए?”
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि ‘कहीं न कहीं, एक विचार ने जोर पकड़ लिया है कि सनातन धर्म केवल और केवल जातिवाद और अस्पृश्यता को बढ़ावा देने के बारे में है’।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एन शेषशायी की एकल बेंच ने कहा कि वह सनातन धर्म को लेकर चल रही बहस के प्रति सचेत हैं और न्यायिक आदेश में इस पर विचार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वह वास्तव में इस मुद्दे के बारे में चिंतित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म का उद्देश्य जीवन जीने का एक तरीका था, लेकिन कहीं न कहीं यह अवधारणा बन गई कि यह केवल जातिवाद और अस्पृश्यता को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में है। उन्होंने छुआछूत पर भी स्पष्ट किया कि छुआछूत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, भले ही सनातन धर्म के सिद्धांतों के तहत इसकी अनुमति हो।
अदालत ने ये बयान एलांगोवन नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिका में एक स्थानीय सरकारी आर्ट्स कॉलेज द्वारा जारी एक सर्कुलर को चुनौती दी गई थी, जिसमें छात्रों से तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी के संस्थापक सीएन अन्नादुरई की जयंती पर ‘सनातन का विरोध’ विषय पर अपने विचार साझा करने के लिए कहा गया था। हालाँकि अदालत ने यह कहते हुए याचिका का निपटारा किया कि यह सर्कुलर पहले ही वापस लिया जा चुका है।
वहीं, सनातन धर्म पर बयानबाजी के मामले में मद्रास उच्च न्यायलय के वकील सुप्रीम कोर्ट अब सुप्रीम कोर्ट की मदद भी मांग रहे हैं। उन्होंने स्टालिन एवं अन्य खिलाफ एफआईआर के साथ ही स्टालिन को आगे कोई टिप्पणी न करने के निर्देश की भी मांग की है। इन वकीलों ने सनातन धर्म के खिलाफ सभी प्रकार के आयोजनों पर रोक लगाने की मांग की है।
हाल ही में सनातन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी का सिलसिला चल पड़ा है, जिसके बीच तमिलनाडु के एक सरकारी कॉलेज में भी छात्रों से सनातन धर्म के विरुद्ध भाषण लिखवाए जाने की घटना सामने आई थी। याचिका में छात्रों को धर्म के खिलाफ बोलने के लिए कॉलेजों में बैठकें आयोजित करने की सभी प्रस्तावित योजना पर रोक लगाने की मांग की गई मगर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
इससे पूर्व तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन और सांसद ए राजा के सनातन धर्म पर टिप्पणी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहु्ंचा था। इसमें उदयनिधि स्टालिन और सांसद ए राजा के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई की मांग की गई थी।
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