केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जैन धर्म के पवित्र तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी पर सभी पर्यटन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया है। साथ ही केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार को इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश भी दिए हैं।
मामले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि पर्यटन, इको-टूरिज्म गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी गई है।उन्होंने कहा कि पारसनाथ क्षेत्र में शराब, तेज आवाज में गाने और मांस की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इस फैसले के बाद जैन समाज ने खुशी प्रकट करते हुए केंद्र सरकार का आभार जताया है।


ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को वर्ष 2019 में इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प पत्र जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया था। जिसके बाद देश भर में जैन समाज का भारी विरोध प्रदर्शन देखा गया। जैन धर्म के अनुयायियों का मानना था कि पवित्र स्थल को पर्यटन क्षेत्र में बदलने से यहाँ की पवित्रता भंग होगी और मांस मदिरा का प्रचलन भी बढ़ेगा।
श्री सम्मेद शिखरजी जैन धर्म का सबसे बड़ा पवित्र स्थल है। इस क्षेत्र में जैन धर्म के 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। इस पवित्र स्थल तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को नौ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
पिछले कुछ दिनों में जैन धर्म के अनुयायी देशभर में सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे। यहाँ तक कि सम्मेद शिखर बचाने के लिए जयपुर में अनशन पर बैठे जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने अपने प्राण भी त्याग दिए थे।
झारखण्ड सरकार जैनियों की एक भी सुनने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन अब केंद्र की मोदी सरकार ने जैन धर्म की धार्मिक भावनाओं का सम्मान कर अधिसूचना में बड़ा संशोधन कर दिया है।