वर्ष, 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परंपरागत क्षेत्रों को वर्तमान में आर्थिक गतिविधियों की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में गंभीर काम किया है। हरित एवं श्वेत क्रांति के साथ ही वर्तमान सरकार द्वारा नीली अर्थव्यवस्था यानी मत्स्य पालन पर भी योजनागत कार्य किए गए हैं। सागर परिक्रमा इसी दिशा में एक ठोस कदम है जिसके जरिए केंद्र सरकार तटीय राज्यों की अर्थव्यवस्था पर ध्यान तो केंद्रित कर ही रही है। साथ ही, मछुआरों, मछली किसानों और अन्य हितधारकों के साथ एकता के भाव का प्रदर्शन भी कर रही है।
सागर परिक्रमा के तहत पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग की यात्रा की जाएगी जो सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी। हाल ही में इसके तीसरे चरण की शुरुआत की गई है। परिक्रमा के जरिए तटीय मछुआरों की समस्याओं को समझने में आसानी होगी। साथ ही मछुआरों एवं मात्स्यिकी से जुड़े समुदायों से संवाद स्थापित हो सकेगा।
जाहिर है नीली अर्थव्यवस्था समुद्र पर निर्भर तो रहती ही है साथ ही इसके संरक्षण और संसाधनों के प्रयोग पर भी ध्यान देती है। सागर परिक्रमा आजादी के अमृत काल के तहत शुरू की गई है। इसके जरिए महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों और मछुआरों का सम्मान किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)- परंपरागत अर्थव्यवस्था के पुनर्जीवन का गंभीर प्रयास
देश में 8118 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा है जो 9 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई है। देश के लाखों तटीय मछुआरों के लिए यह आजीविका उपलब्ध करवाती है साथ ही देश के पारंपरिक आर्थिक क्षेत्र को भी सुदृढ़ करती है। ऐसे में इस क्षेत्र में हाल में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के प्रसार का अच्छा माध्यम भी सागर परिक्रमा के रूप में सामने है।
देश पहले से ही दुनिया में मत्स्य उत्पादन और व्यापार क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखता है। देश का वार्षिक उत्पादन 14 मिलियन टन से अधिक है। इस क्षेत्र को अधिक पोषित एवं सुदृढ़ करने के लिए मोदी सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है जिनकी जानकारी मत्सय क्षेत्र से जुड़े लोगों को होना आवश्यक है। सागर परिक्रमा के जरिए न सिर्फ योजनाओं का प्रसार किया जाएगा बल्कि नई तकनीक की जानकारी भी दी जाएगी और सरकार एवं मछुआरों या हित समूहों का सीधा संपर्क स्थापित हो सकेगा।
मत्स्य क्षेत्र में चलाई जा रही योजनाओं में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) प्रमुख है। PMMSY की परिकल्पना ग्रामीण संसाधनों और त्वरित गति से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए की गई है। योजना का मुख्य आदर्श वाक्य मत्स्य पालन क्षेत्र में ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ है। योजना के तहत वर्ष 2024-25 के अंत तक 68 लाख रोजगार सृजन होने का अनुमान है।
साथ ही, नीली अर्थव्यवस्था में विकास बनाए रखने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा डीप ओशन मिशन (DOM) चलाया जा रहा है। DOM का उद्देश्य समुद्र के क्षेत्र में शोध एवं नवाचारों को बढ़ावा देना है। इसके जरिए मानवयुक्त सबमर्सिबल वाहन का विकास किया जाएगा, गहरे समुद्र में खनन हेतु प्रौद्योगिकी का विकास, गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज एवं संरक्षण के लिये तकनीकी नवाचार एवं सर्वेक्षण एवं अन्वेषण पर ध्यान दिया जाएगा।
इसके साथ ही सरकार सागरमाला परियोजना, ओ-स्मार्ट योजना, एकीकृत तटीय प्रबंधन, राष्ट्रीय मत्सय नीति, नाविक जैसी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। योजनाओं के साथ ही सतत विकास के लिए मोदी सरकार द्वारा नॉर्वे के साथ मिलकर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है।
देश की करीब 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है। सरकार द्वारा वर्ष 2023 तक नए भारत के विकास की अवधारणा में जिन 10 आयामों को शामिल किया गया है उनमें से एक आयाम नीली अर्थव्यवस्था भी है। ऐसे में इस क्षेत्र में योजनाओं के साथ ही तकनीक को बढ़ावा देना अपरिहार्य है।
कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं को बढ़ावा देना, मछली लैंडिंग केंद्रों का विस्तार एवं मछली बाजार को उन्नत करके इस दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। इसके साथ ही मात्स्यिकी प्रबंधन प्रणाली में भी सुधार किए गए हैं। क्राफ्ट और गिअर विकास, अन्तः स्थलीय, खारा जल, समुद्री और शीत जल मत्स्य संसाधनों का प्रबंधन, अन्तः स्थलीय, समुद्री मछली और शैलफिश पालन प्रौद्योगिकियां, प्रग्रहण और प्रग्रहण उपरांत प्रौद्योगिकी, मूल्य संवर्द्धन जैसी मत्स्य संभाग द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों का कई एजेंसियों के जरिए विकास किया जा रहा है।
स्पेशियलिटी स्टील के लिए केंद्र की PLI स्कीम कैसे साबित होगी ‘गेम चेंजर’
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नीली अर्थव्यवस्था पर जोर देते हुए कहा गया था कि तटीय क्षेत्रों का विकास तथा मेहनतकश मछुआरों का कल्याण सरकार की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में एक है। इसके तहत ही सरकार बहुमूखी योजनाओं का संचालन भी कर रही है। हालाँकि इनका बेहतर प्रसार हो और लाभार्थी योजनाओं के जरिए अधिक से अधिक लाभ उठा सकें उसके लिए सागर परिक्रमा एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।
जनमानस को सरकार से सीधा जोड़ने का यह प्रयास आजादी के अमृतकाल को अधिक प्रांसगिक तो बना ही रहा है साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में बेहतरीन कदम माना जा सकता है। हरित क्षेत्र, मत्स्य क्षेत्र या अन्य परंपरागत क्षेत्रों में निवेश करके सरकार ने दर्शाया है कि विकास को भी चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है।