राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार की आंतरिक कलह दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एक दूसरे पर लगातार कटाक्ष कर रहे हैं। इसी कड़ी में सचिन पायलट ने अशोक गहलोत की सोनिया गांधी के प्रति निष्ठा पर प्रश्न खड़े किए हैं।
सचिन पायलट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा धौलपुर में दिए गए बयान पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा है कि गहलोत द्वारा धौलपुर में दिए गए बयान को सुनने के बाद लगता है कि जैसे वह सोनिया गांधी को नहीं बल्कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपना नेता मानते हैं।
दरअसल, हाल ही में अशोक गहलोत ने धौलपुर में एक कार्यक्रम में दिए गए बयान में कहा था कि मैंने स्वर्गीय भैरो सिंह शेखावत की सरकार गिरने से बचाई थी और मेरी सरकार को वसुंधरा राजे ने गिरने से बचाया था। गहलोत ने कहा था कि सरकारे गिराना और बनाना उनके राज्य की संस्कृति नहीं है। वसुंधरा राजे ने इसे अशोक गहलोत का षड्यंत्र करार दिया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर राजस्थान कॉन्ग्रेस के दोनों नेताओं के बीच मची इस खींचतान में लगातार एक दूसरे पर जवाबी हमले हो रहे हैं। हाल ही में सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर जांच की को लेकर धरना प्रदर्शन भी किया था।
सचिन पायलट ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत एक ओर कहते हैं कि भाजपा हमारी सरकार गिराना चाहती है और दूसरी तरफ कहते हैं कि वसुंधरा जी ने हमारी सरकार बचाई। ऐसे में यह विरोधाभास वाली बात है, वह कहना क्या चाह रहे हैं, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए।
पायलट ने कहा कि अब मुझे समझ आ गया है कि क्यों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वसुंधरा राजे पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। राजस्थान कॉन्ग्रेस की यह सर फुटौव्वल चुनावों से पहले उसके लिए सिरदर्द बनी हुई है।
राजस्थान में लगातार हर पांच साल पर सरकार बदलने का रिवाज रहा है। अशोक गहलोत के लिए एक तरफ यह चुनौती है, वहीं दूसरी तरफ पायलट के बगावती तेवरों ने उनकी चिंताएं बढ़ाई हुई हैं।
राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार वर्तमान में ज्यादा टैक्स लगाने के कारण महंगे पेट्रोल डीजल, बेरोजगारी और भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के कारण भारी विरोध झेल रही है। पार्टी में कई नेताओं ने अपने अपने गुट बना रखे हैं जिनकी कलह समय समय पर सामने आती रहती है।
यह भी पढ़ें: राजस्थान: RTH विधेयक की वापसी पर सरकार और डॉक्टर्स के बीच तनातनी