सबरीना सिद्दीकी, ये नाम पिछले कुछ दिनों से भारत के लिबरल गैंग को काफी प्रिय लगने लगा है। ये वही पत्रकार हैं जिन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से वाइट हाउस में भारतीय मुस्लिमों को लेकर सवाल किया था। अब इन्हीं सबरीना सिद्दीकी के एजेंडा का खुलासा होने के बाद भारत में एक वर्ग इनके समर्थन में उतर गया है। समर्थन भी यह कहकर किया जा रहा है कि सबरीना सिद्दीकी ‘सर’ सैयद अहमद खान की परपोती हैं।
शनिवार (24 जून) को ट्विटर पर कथित फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने एक ट्वीट में लिखा, “सर सैयद अहमद खान की परपोती को भी भारत में हजारों भारतीय मुसलमानों की तरह अपनी वफादारी साबित करनी होगी। यह दक्षिणपंथी ट्रोल्स की एक पुरानी चाल है। सत्ता में बैठे लोगों से एक सवाल पर आपको राष्ट्र-विरोधी, पाकिस्तानी, हिंदू-विरोधी, भारत-विरोधी आदि करार दिया जाएगा।”
यह हास्यास्पद इसलिए है कि क्योंकि यह वही सैयद अहमद खान जिनके ‘दो राष्ट्र के सिद्धांत’ के तहत ही भारत का विभाजन हुआ था। इक़बाल जैसे लोग जिस विचारधारा को आगे बढ़कर चले, उसके जनक यही सैयद अहमद ख़ान थे। द्वि-राष्ट्र सिद्धांत में कहा गया कि हिंदू और मुस्लिम शांति से एक साथ नहीं रह सकते और इसलिए भारतीय मुसलमानों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान बनाना होगा।
यहाँ पर यह जानना आवश्यक है कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों के ग़ुस्से से बचने के लिए सैयद अहमद खान ने 1858 में ‘रिसाला अस बाब-ए-बगावत ए हिंद’ (भारतीय विद्रोह की कारण मीमांसा) किताब लिखी, जिसमें उन्होंने प्रमाणित करने की कोशिश की कि इस क्रांति के लिए मुसलमान नहीं, बल्कि हिंदू जिम्मेदार थे।
वर्ष 1888 को मेरठ में दिए अपने भाषण (Allahabad: The Pioneer Press, 1888 में प्रकाशित) में सैयद अहमद खान ने कहा था- “सबसे पहला सवाल यह है कि इस देश की सत्ता किसके हाथ में आने वाली है? मान लीजिए, अंग्रेज अपनी सेना, तोपें, हथियार और बाकी सब लेकर देश छोड़कर चले गए तो इस देश का शासक कौन होगा? उस स्थिति में यह संभव है क्या कि हिंदू और मुस्लिम कौमें एक ही सिंहासन पर बैठें? निश्चित ही नहीं। उसके लिए ज़रूरी होगा कि दोनों एक दूसरे को जीतें, एक दूसरे को हराएँ। दोनों सत्ता में समान भागीदार बनेंगे, यह सिद्धांत व्यवहार में नहीं लाया जा सकेगा।” “मुस्लिम हिंदुओं से कम भले हों मगर वे दुर्बल हैं, ऐसा मत समझिए। उनमें अपनी जगह पर क़ायम रहने रखने का सामर्थ्य है। लेकिन समझिए कि नहीं है तो हमारे पठान बंधू पर्वतों और पहाड़ों से निकलकर सरहद से लेकर बंगाल तक खून की नदियाँ बहा देंगे। अंग्रेज़ों के जाने के बाद यहाँ कौन विजयी होगा, यह अल्लाह की इच्छा पर निर्भर है। लेकिन जब तक एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र को जीतकर आज्ञाकारी नहीं बनाएगा तब तक इस देश में शांति स्थापित नहीं हो सकती।”
क्या है पूरा मामला
अमेरिका दौरे पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार सबरीना सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री मोदी से भारतीय मुसलमानों से जुड़ा एक सवाल किया था। सवाल ये था कि “आप और आपकी सरकार अपने देश में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाने को तैयार हैं?”
इस पर प्रधानमंत्री ने उन्हें बेहद सधा हुआ जवाब देते हुए भारतीय लोकतंत्र का मतलब समझाया और कहा कि भारत किसी के धर्म, जाति, रंग, लिंग को देखकर भेदभाव नहीं करता। इससे पहले सबरीना ने ऐसा ही एक प्रश्न अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन से किया था और उन्हें उम्मीद के अनुसार जवाब नहीं मिला।
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सबरीना का यह प्रश्न जवाब पाने के लिए नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया के सहारे उन्हें इंटोलेरनंट दिखाने के लिए किया गया था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें ऐसा कोई कारण दिया नहीं जिसके सहारे वो अगले कुछ दिनों तक अपने प्रॉपगैंडा को जारी रखने में कामयाब रहतीं।
सबीरना सिद्दीकी
सबरीना सिद्दीकी एक मुस्लिम-अमेरिकी पत्रकार हैं। जिनके माता पिता पाकिस्तानी हैं। अभी 2019 से पहले उन्होंने द गार्डियन नामक एक ब्रितानी दैनिक समाचार पत्र के लिए काम किया था और अभी वे अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में काम करती हैं।
अब सैयद अहमद खान के वंश वृक्ष से ताल्लुक़ रखने वाली सबरीना इस एजेंडा को आगे बढ़ा रही हैं। सबरीना एक ‘अमेरिकन मुस्लिम इंस्टीट्यूशन’ (AMI) नामक संगठन से जुड़ी हुई हैं जो कई बार भारत विरोधी कार्यक्रमों की मेजबानी कर चुका है।
यही ‘अमेरिकन मुस्लिम इंस्टीट्यूशन’ (AMI) एक दूसरे चर्चित संगठन इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल नामक संगठन से जुड़ा हुआ है।जो भारत विरोधी अभियान के लिए खासा चर्चित है।
एएमआई जैसे संगठनों के साथ सबरीना का जुड़े होना उनके विश्वसनीयता और नीयत पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है । इसके अलावा सबरीना सिद्दीकी के ट्वीट्स भी हमेशा भारत के खिलाफ ही रहे हैं।
कथित किसान आंदोलन हो या कोरोना महामारी, हमेशा ट्विटर के माध्यम से सबीरना प्रॉपगैंडा फ़ैलाने में आगे रही हैं।
इसका एक उदहारण वर्ष 2019 में भी देखने को मिला जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा था तब उस समय सबरीना ने इस मुद्दे को ट्रंप के आगे उठा दिया था।
सबरीना एक प्रेस ब्रीफिंग में पीएम मोदी से सवाल पूछने वाले कुछ लोगों में से एक होने की महिमा का आनंद ले सकती हैं, लेकिन उनके द्वारा पूछा गया सवाल दिखाता है कि भारत विरोधी इकोसिस्टम कितना बड़ा है।