आर्थिक बदहाली से जूझ रहे श्रीलंका द्वारा अपने कर्जों को व्यवस्थित करने की कोशिशों का भारत समर्थन करने जा रहा है। इससे आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से श्रीलंका को नया पैकेज मिलने की उम्मीद है। श्रीलंका अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए IMF से लगभग 3 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज की ओर देख रहा है।
इस बीच भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर 19 जनवरी को श्रीलंका के दौरे पर जा रहे हैं। वे वहाँ द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने और पड़ोसी देश की बदहाल अर्थव्यवस्था के लिए भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सामने रखेंगें। डॉ जयशंकर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणारत्ने से भी मिलेंगें।
गौरतलब है कि श्रीलंका इस समय आर्थिक कठिनाई के दौर से गुजर रहा है और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में काफी कम पैसा है। विक्रमसिंघे सरकार द्वारा कर्ज पाने की कोशिशों के लिए यह आवश्यक है कि वह भारत और चीन का समर्थन हासिल करे।
श्रीलंका के कर्जों को व्यवस्थित करने के पीछे उसकी कोशिश है कि चीन, भारत और अन्य कर्ज देने वाले देश उसे राहत दें ताकि IMF उसे कर्ज दे सके। सामान्यत: IMF द्वारा कर्ज देने के समय काफी कड़ी शर्तें रखी जाती हैं। विक्रमसिंघे सरकार को भी आने वाले समय में IMF की शर्तों को मानना पड़ेगा जोकि एक मुश्किल काम होने वाला है।
भारत ने की श्रीलंका की मदद
भारत, श्रीलंका में वर्ष 2022 में आए आर्थिक बदहाली के माहौल में उसका सबसे बड़ा सहायक बनकर उभरा था। भारत ने दवा, खाद्य सामग्री समेत लगभग 4 बिलियन डॉलर की मदद पहुँचाई थी। इससे पहले भारत पड़ोसी देश को दिए गए कर्जों में भी ढील दे चुका था। भारत ने कर्ज चुकाने की तारीख आगे बढ़ा कर राहत दी थी।
समाचार एजेंसी ANI की एक खबर के अनुसार राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने 17 जनवरी, 2022 को देश की संसद को बताया कि चीन और भारत के साथ कर्जों को व्यवस्थित करने की बातचीत सफल रही है। इससे श्रीलंका को आने वाले समय में बेलआउट पैकेज मिलने की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं।
श्रीलंका के स्थानीय समाचार पत्र द आइलैंड के अनुसार, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के दौरे में कर्ज और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था सुधारने के अलावा दोनों देशों के बीच कुछ और नई योजनाएं चालू करने पर बात हो सकती है। इसमें पूर्व में गृह युद्ध से प्रभावित रहे त्रिंकोमाली क्षेत्र के विकास और भारत और श्रीलंका के बीच एक ग्रिड परियोजना शामिल हैं।
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भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल और भूटान पहले ही देश के बिजली ग्रिड से जुड़े हुए हैं जिससे आपसी देशों को फायदा हो रहा है। बांग्लादेश बड़े पैमाने पर भारत से बिजली खरीद रहा है। श्रीलंका के साथ भी ऐसी ही परियोजना शुरू करने का लक्ष्य है।
इससे पहले श्रीलंका के केन्द्रीय बैंक ने भारत और चीन से कर्ज घटाने की अपील की थी। बैंक ने इन कर्जों को राइट ऑफ करने की माँग की थी।