भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाग लेने गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने छ: दिनों में पचास से ज्यादा द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और अन्य बैठकों में भाग लिया है। इनमें से कुछ बैठकें अत्यंत महत्वपूर्ण रहीं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस दौरान नए भारत की नई कूटनीति का नजरिया भी दुनिया के सामने रखा। उन्होंने भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता, रूस-यूक्रेन संघर्ष और ऊर्जा खरीदारी जैसी जरूरतों पर भारत का पक्ष पूरे विश्व के सामने साफ़ कर दिया।
अपने दौरे में कई राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों और विदेश मंत्रियों से वार्ता की। उन्होंने एक दिन में औसतन 10 बैठकों में हिस्सा लिया। भारत की कूटनीति को नए आयाम पर पहुंचाने के लिए जयशंकर द्वारा की जा रही इस मेहनत की काफी प्रशंसा हो रही है।
जयशंकर की अहम बैठकें
भारत से 10 दिन अमेरिका की यात्रा पर गए जयशंकर ने बैठकों की शुरुआत कैरिबियाई और लैटिन अमेरिकी देशों के नेताओं से मिलने के साथ की। पहले दिन जयशंकर ने इंडोनेशिया, म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। उन्होंने अपनी तरह की पहली भारत-यूएई-फ़्रांस त्रिपक्षीय वार्ता में भी हिस्सा लिया। अपनी यात्रा के पहले दिन जयशंकर ने 13 देशों के नेताओं के साथ वार्ता में हिस्सा लिया।
दूसरे दिन जयशंकर ने तुर्की, लीबिया और 10 अन्य देशों के नेताओं तथा यूरोपियन यूनियन के नेताओं के साथ मुलाक़ात की। उन्होंने तुर्की के विदेश मंत्री के समक्ष साइप्रस समस्या को उठाया, इसको तुर्की के राष्ट्रपति ऐर्दोआँ के संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को उठाने के जवाब में देखा जा रहा है।
तीसरे और चौथे दिन जयशंकर ने काफी अहम बैठकें की, जिनमे से कोलंबिया विश्वविद्यालय में उनका संवाद काफी अहम रहा। इस संवाद के दौरान भारत के साथ भूतकाल में तीन गलत घटित हुई चीजों को बताया।
उन्होंने बंटवारा, परमाणु शस्त्र प्राप्त करने में देरी और आर्थिक सुधारों में देरी को भारत के पीछे होने के कारण के तौर पर रेखांकित किया। जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की। जयशंकर ने तीसरे दिन यूक्रेन मामले पर भारत का पक्ष संयुक्त राष्ट्र में रखा। चौथे दिन उन्होंने ग्रीस, जर्मनी और जापान जैसे अहम देशों के विदेश मंत्रियों के साथ वार्ता की।
अपनी यात्रा के पांचवे दिन जयशंकर ने दो महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय वार्ताओं एवं कैरिबियाई राष्ट्रों नेताओं के समूह तथा अन्य 6 विदेश मंत्रियों से वार्ता की, इनमें से आस्ट्रेलिया व स्पेन प्रमुख रहे। इसके बाद छठे दिन जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव से द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया और संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया।
भाषण में भारत का पक्ष दुनिया को बताया
जयशंकर ने अपने भाषण में भारत का पक्ष दुनिया को अवगत कराते हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष से दुनिया में हुई क्षति और विकासशील देशों को हो रही समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने भारत द्वारा दुनिया के देशों को पहुंचाई गई सहायता की भी बात की।
दुनिया के 100 से अधिक देशों को वैक्सीन पहुंचाना, श्रीलंका को आर्थिक तौर से मदद देना और म्यांमार तथा अफगानिस्तान को बड़े तौर मदद करने को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के पटल पर रखा। साथ ही कहा कि हम केवल अपनी बातों से नहीं बल्कि अपने कामों से दुनिया की सहायता करते हैं।
यूक्रेन मामले पर उन्होंने भारत का पक्ष रकहते हुए बताया की भारत सदैव शान्ति के साथ है और उस राष्ट्र के साथ है जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का पालन करता है। उन्होंने चीन द्वारा लगातार संयुक्त राष्ट्र में आतंकियों को प्रतिबंध से बचाए जाने की तरफ इशारा किया।
अब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ जयशंकर द्विपक्षीय वार्ता होनी है जहाँ वह भारत और अमेरिका के बीच सहयोग के मुद्दों को उठाएंगे। ब्लिंकन ने जयशंकर के सम्मान में एक रात्रिभोज का भी आयोजन किया है।