यह परमाणु हथियार ही हैं जिनके खतरे ने दशकों से रूस और पश्चिम के बीच सीधे टकराव को रोक रखा है। चाहे कोई देश कितनी भी परमाणु धमकियाँ दे, लेकिन वैश्विक परमाणु युद्ध की संभावना वह रेखा है जिसे पार करने से हर कोई देश घबराता है।
हालाँकि, अब रूस की परमाणु रणनीति का अध्ययन करने वाले विश्लेषकों का कहना है कि परमाणु हथियार इस्तेमाल करने या ना करने के फ़ैसले की रेखा धुंधली होती जा रही है। यूक्रेन को पश्चिम द्वारा हथियार उपलब्ध कराने की वजह से लंबा खिंचता पारंपरिक युद्ध रूस को अपनी परमाणु नीति में बदलाव के लिए उकसा रहा है।
दोनों में से कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है, इसलिए बीते दशकों की तुलना में परमाणु हमले की संभावना वास्तविक प्रतीत होती है।
रूस के परमाणु बलों पर नजर रखने वाले संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ शोधकर्ता पावेल पॉडविग कहते हैं, “हम काफी खतरनाक मोड़ पर हैं। मुझे लगता है कि रूस द्वारा परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की संभावना ‘बेहद कम’ है। लेकिन मुझे ‘चिंता’ जरुर है।”
शीत युद्ध के समय अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने परमाणु हथियारों के विशाल भंडार जमा कर लिए थे। इनमें कई तथाकथित ‘रणनीतिक’ हथियार थे- जैसे पनडुब्बियों और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों द्वारा पहुँचाए जाने वाले विशाल हथियार, जो वैश्विक थर्मोन्यूक्लियर युद्ध के समय इस्तेमाल किए जाने के लिए डिजाइन किए गए थे।
लेकिन दोनों देशों के पास हजारों ‘सामरिक’ परमाणु हथियार भी थे, जो आकार में छोटे थे व उनका विमानों, और कम दूरी की मिसाइलों द्वारा परिवहन किया जा सकता था। अगर पश्चिमी यूरोप पर पारंपरिक सोवियत हमला हुआ तो आज भी नाटो देश ऐसे हथियारों का उपयोग करने के लिए तैयार हैं।
1990 के दशक में नई तकनीकों वाले ज्यादा सटीक पारंपरिक हथियार विकसित हो गए थे, जो लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता से लैस थे और रेडियोएक्टिव भी नहीं थे, इसलिए सामरिक परमाणु हथियारों को कम किया जा रहा था। सामरिक परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं थे, क्योंकि एक तो वे छोटे और अधिक पोर्टेबल थे। दूसरा, आतंकवादी उन पर ज्यादा आसानी से कब्जा कर सकते थे। लेकिन रूस ने अपने सामरिक परमाणु शस्त्रागार को बनाए रखने का फैसला लिया, क्योंकि रूसी सेना के अनुसार पारंपरिक हथियार प्रौद्योगिकी कई विशेषताओं वाली थी।
वाशिंगटन थिंक टैंक फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स में परमाणु सूचना परियोजना के प्रमुख हैंस क्रिस्टेंसन कहते हैं, “माना जाता है कि आज रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार है , जिसमें 1,000-2,000 सामरिक परमाणु हथियार शामिल हैं।”
लोग सोचते हैं कि परमाणु हथियार छोटे आकार के होते हैं पर रूसी परमाणु भण्डार विविध है। रूस के पास विस्फोटकों की एक विस्तृत रेंज है, जिसमें कुछ सौ किलो टन तक के हथियार शामिल हैं, जो हिरोशिमा बम की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली हैं।
रूस की परमाणु धमकियां
यूक्रेन विवाद की शुरुआत में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने परमाणु बलों को ‘युद्ध कर्तव्य के विशेष मोड‘ में रखा था। इसके तहत रूस की परमाणु हथियार साइटों पर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई थी। लेकिन यह पश्चिम के लिए संदेश था कि रूस के पास शक्तिशाली परमाणु भण्डार है।
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के यूरोप और मध्य एशिया के निदेशक ओल्गा ओलिकर ने कहा है कि परमाणु हथियारों का भय कुछ हद तक यूक्रेन युद्ध को रोकने में भी प्रभावी रहा है। “परमाणु हथियारों ने रूस और पश्चिमी देशों को रोक रखा है। अभी तक नाटो सैनिक लड़ने के लिए यूक्रेन के अंदर नहीं घुसे हैं, और रूस ने भी पड़ोसी नाटो देशों पर हमला नहीं किया है।”
पश्चिम से यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति ने पुतिन को भड़का दिया है और परमाणु खतरों को बढ़ा दिया है। सितंबर के अंत में यूक्रेनी जमीन पर कब्जा करने के बाद, पुतिन ने साफ कहा कि वह मौजूदा संघर्ष में परमाणु हमले पर विचार करने के लिए भी तैयार हैं।
उन्होंने कहा, “हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता पर खतरे के बीच रूस और हमारे लोगों की रक्षा के लिए, हम निश्चित रूप से हमारी सभी उपलब्ध हथियार प्रणालियों का उपयोग करेंगे, और यह कोई झांसा नहीं है।”
हालाँकि, परमाणु हथियारों की ये धमकी पश्चिम को यूक्रेन को हथियार आपूर्ति रोकने के लिए मजबूर करने की कोशिश भी हो सकती है। दूसरे शब्दों में, पुतिन परमाणु हमले का डर पैदा करके विरोधियों को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। रूस परमाणु हथियारों के भयदोहन को अपने पक्ष में करना चाहता है।
लेकिन इसकी आड़ में पुतिन अपने परमाणु हथियारों की जद में आने वाले क्षेत्रों में रूस का विस्तार करने की कोशिश भी कर रहे हैं। रूस ने हाल ही में यूक्रेन के चार इलाकों पर कब्जा कर लिया है। अब तक रूस की आधिकारिक नीति यह है कि वह केवल अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए ही परमाणु हथियारों का उपयोग करेगा।
यूक्रेन के खेरसॉन, जापोरिजिया को पुतिन ने किया स्वतंत्रः दो और शहरों पर भी आज ही कब्जा करेगा रूस
क्या होगा परमाणु उपयोग?
फिंक ने साफ कहा है कि उनके अनुसार पुतिन द्वारा परमाणु युद्ध की संभावना के बराबर है। जैसा कि पिछले सप्ताह के ड्रोन और क्रूज मिसाइल हमलों से पता चलता है, रूस के पास यूक्रेन पर हमला करने के लिए बहुत सारे शक्तिशाली पारंपरिक हथियार हैं। यूक्रेन में अपनी बात मनवाने के लिए रूस के पास अन्य तरीके भी हैं, जिनका परमाणु हथियारों के उपयोग से कोई लेना-देना नहीं है।
लेकिन जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर मैथ्यू क्रोनिग को लगता है कि जिस तरह संघर्ष आगे बढ़ रहा है, वह पुतिन को भाग्यवादी विकल्प की ओर ले जा सकता है। युद्ध को लेकर पुतिन घरेलू राजनीतिक दबाव का सामना भी कर रहे हैं।
क्रोनिग कहते हैं, “जैसे-जैसे रूस की स्थिति गंभीर होती जाएगी, वह फिर से उभरने के लिए परमाणु उपयोग का जुआ खेलने के लिए उतना ही इच्छुक होगा।”
अगर रूस परमाणु हमले का फैसला करता है, तो अधिकांश विशेषज्ञ इससे सहमत हैं कि वह इन हथियारों का उपयोग अग्रिम पंक्ति के यूक्रेनी सैनिकों के खिलाफ नहीं करेगा। सामरिक परमाणु हथियार मूल रूप से शीत युद्ध-युग के बड़े लक्ष्यों के लिए डिजाइन किए गए थे, जबकि यूक्रेन की सेना फैली हुई है। पुतिन को छोटे-छोटे अटैक करने होंगे, जो रेडियोएक्टिव गड़बड़ी पैदा करेंगे और उससे रूसी सैनिकों को भी निपटना होगा।
अधिक संभावना यह है कि रूस युद्ध को रोकने के लिए केवल एक ही एटोमिक हथियार का उपयोग करने का फैसला करेगा। उस हथियार का इस्तेमाल ‘ब्लैक सी’ या किसी रूसी परीक्षण स्थल में प्रदर्शन के तौर पर भी किया जा सकता है। या फिर यूक्रेन में रूसी सेना के हालिया क्रूज मिसाइल और ड्रोन हमलों की तरह यह हमला यूक्रेन में किसी एक महत्वपूर्ण निश्चित जगह पर हो सकता है।
अगर रूस यूक्रेन में एटोमिक हमला करता है तो अमेरिका भी पूरी ताकत से जवाब देगा, क्योंकि अमेरिका इसे अपनी महाशक्ति की छवि पर धक्के के रूप में देखेगा न कि मानवता पर संकट के रूप में। यहाँ से मामला और बढ़ सकता है। पर यह सब कयास ही हैं, परमाणु हमला एक व्यतिरेक है और दुनिया अभी इससे बची रहेगी।
रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंध फेल, एशिया के दम पर फलफूल रहा रूस का तेल कारोबार