पाकिस्तान के एक पत्रकार ने दावा किया है कि पाकिस्तान द्वारा खरीदे गए रूसी कच्चे तेल को पाकिस्तान पहुँचाने के बीच भारतीय व्यापारियों ने मोटा मुनाफा कमाया है और इसलिए पाकिस्तान को तेल का भाव सामान्य अंतरराष्ट्रीय भाव के बराबर ही पड़ा। पाकिस्तान में आर्थिक खबरों की वेबसाइट बिजनेस रेकॉर्डर के एक पत्रकार ने दावा किया है कि पाकिस्तान द्वारा खरीदा गया कच्चा तेल पहले रूस से भारत आया और फिर भारत से संयुक्त अरब अमीरात गया, जहाँ से इसे पाकिस्तान भेजा गया।
बिजेनस रिकॉर्डर के पत्रकार वकास ने अपने ट्विटर पर रूसी कच्चे तेल को पाकिस्तान ले जाने वाले एक जहाज की यात्रा का रिकॉर्ड दिखाते हुए दावा किया है कि पाकिस्तान भेजा गया रूसी कच्चा तेल सीधे पाकिस्तान न पहुँच कर भारत और खाड़ी देश UAE के माध्यम से पहुंचा। इस पूरी प्रक्रिया में भारत और UAE के व्यापारियों ने मोटा मुनाफा कमाया।
वकास ने दावा किया है कि कच्चा तेल ढोने वाले मार्गरीता नाम के एक जहाज ने सबसे पहले गुजरात के वादिनार पोर्ट 12 मई को अपनी यात्रा चालू की और यहाँ से 25 मई को संयुक्त अरब अमीरात के जेबेल अली टर्मिनल पहुंचा। इसके पश्चात इस जहाज ने पुनः यात्रा प्रांरभ की और 3 जून को यह पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पहुंच गया। इसके पश्चात इसने अपनी भारत यात्रा पुनः प्रांरभ कर दी और इसकी आखिरी लोकेशन सिका बंदरगाह पर थी।
इसके अतिरिक्त वकास ने एक और जहाज प्योर पॉइंट का भी यात्रा रूट दिखाते हे बताया है कि यह संयुक्त अरब अमीरात से 31 मई को चलकर 1 जून को ओमान के सोहर टर्मिनल पहुंचा। ओमान से निकलने के पश्चात यह टैंकर 10 जून को कराची पहुंचा जहाँ यह अभी मौजूद है।
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वकास का कहना है कि तेल के इस आदान प्रदान के बीच भारतीय व्यापारियों ने प्रति बैरल कम से कम 17 डॉलर का मुनाफा कमाया है क्योंकि उन्हें यह 52 डॉलर प्रति बैरल के भाव से मिला और पाकिस्तान को 69 डॉलर प्रति बैरल। वकास ने बताया है कि कच्चे तेल की इस पूरी खेप की मात्रा 2.5 लाख बैरल थी।
वकास का दावा है कि भारत गए तेल की अदला बदली संयुक्त अरब अमीरात में हुई, जहाँ भारत से गए टैंकर जहाज के तेल को दूसरे टैंकर जहाज में डाला गया। वकास ने यह भी कहा है कि इससे पाकिस्तानी जनता का कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ है बल्कि पाकिस्तान की सरकार सिर्फ रूसी तेल खरीद कर शाबाशी पाना चाहती है।
गौरतलब है कि हाल ही में पाकिस्तान में रूस से खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की पहली खेप पहुंची है, इसे पाकिस्तान की रिफायनरियों में अब साफ़ किया जाएगा। यह पहली खेप मात्र टेस्ट के लिए मँगाई गई है। पाकिस्तान पहुंची इस खेप का रूट भी ओमान से हो कर था, जिसकी पुष्टि सरकार ने स्वयं की थी ऐसे में यह प्रश्न उठ रहे हैं कि क्या तेल भारत के रास्ते पहुंचा और इसमें भारतीय व्यापारियों ने मुनाफा कमाया?
पाकिस्तान का कहना है कि चूंकि उसके पास 50,000 मीट्रिक टन से अधिक तरल पदार्थ लाने वाले जहाजों के लंगर डालने की सुविधाएँ नहीं है, ऐसे में यह तेल छोटे जहाजों से ओमान के रास्ते लाया गया है। जबकि वकास का दावा है कि जहाज में संयुक्त अरब अमीरात में तेल डाला गया।
पाकिस्तान में रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने पर पिछले एक वर्ष से राजनीति हो रही है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमराना खान ने पिछले वर्ष कहा था कि भारत अपनी कूटनीतिक ताकत के सहारे रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीद रहा है लेकिन पाकिस्तान नहीं खरीद पा रहा। पाकिस्तान में इसके पश्चात सत्ता परिवर्तन हो गया और शहबाज शरीफ की सरकार आ गई। अब शहबाज शरीफ की सरकार यह दिखाने के लिए रूसी तेल खरीदने के पीछे जोर शोर से पड़ी हुई क्योंकि वह प्रदर्शित करना चाहती है कि हमारी कूटनीति भी स्वतंत्र है।
इसी सम्बन्ध में पाकिस्तान ने अप्रैल माह में रूस को कच्चे तेल का पहला आर्डर दिया था जो अब उसे मिल गया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में इसी वर्ष आम चुनाव होने वाले हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान के आर्थिक हालत ठीक ना होने के कारण उसके यहाँ भयानक महंगाई है और पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान की शहबाज सरकार चाहती है कि वह रूसी तेल खरीद करके तेल सस्ता करे और अपने वोटर बढाए।
इससे पहले कई विशेषज्ञों ने पाकिस्तान के रूसी कच्चे तेल खरीदने के फैसले पर हैरानी जताई थी क्योंकि इसकी तेल साफ़ करने वाली सारी रिफायनरी विशेषतः खाड़ी देशों से आने वाले कच्चे तेल को साफ़ करने के लिए बनाई गई है। रूस से आने वाले यूराल ग्रेड का तेल साफ़ करने में यह सक्षम होंगी कि नहीं यह देखने वाली बात होगी।
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